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आतंकी फंडिंग पर NIA की बड़ी कार्रवाई, जम्मू-कश्मीर में 12 ठिकानों पर छापेमारी

नई दिल्ली, 16 अगस्त : केंद्र सरकार आतंकी वारदातों को लेकर बिलकुल नरमी नहीं बरतना चाह रही है। स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्ट संदेश और रक्षा मंत्री के कार्रवाई को पूर्णतः समर्थन के बाद केन्द्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार तड़के सुबह जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग मामले में बड़ी कार्रवाई की है।

एनआईए महानिरीक्षक आलोक मित्तल के अनुसार, ‘आज जिन लोगों के ख़िलाफ कार्रवाई की गई उनके बारे में हमें संदेह है कि उनके अलगाववादियों से वित्तीय संबंध हैं।’

सूत्रों के अनुसार एनआईए की टीम ने बुधवार को श्रीनगर, हंदवाड़ा और बारामूला समेत जम्मू-कश्मीर में 12 स्थानों पर एकसाथ छापे मारे हैं। बारामूला जिले के कुंजर इलाके में अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े जुहूर वताली के रिश्तेदारों के ठिकानों पर भी छापेमारी चल रही है। श्रीनगर में एक कारोबारी के 2 ठिकानों पर भी छापेमारी चल रही है।

सूत्रों के मुताबिक छापे की कार्रवाई श्रीनगर, बारामूला और हंदवाड़ा में हुई है। जिनके ठिकानों पर कार्रवाई हुई उनमें श्रीनगर के वकील मोहम्मद शफी रेशी और घाटी के जाने-माने व्यवसायी ज़हूर वताली के तीन रिश्तेदार शामिल हैं। 

एनआईए पिछले कुछ महीने से आतंकी फंडिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। एजेंसी अब तक इस सिलसिले में कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है तो कुछ को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। अब तक अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के 7 नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। जिन्हें गिरफ्तार किया गया है इनमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह प्रमुख हैं। साथ ही हुर्रियत के गिलानी गुट के सदस्य अयाज़ अकबर खांडे, मेहराजुद्दीन कलवल, पीर सैफुल्लाह और मीरवाइज़ उमर फारुक़ गुट के शाहिद-उल-इस्लाम भी पकड़े गए हैं। ग़िरफ्तार किए गए अन्य दो सदस्यों में जम्मू-कश्मीर नेशनल फ्रंट के नईम खान और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के फारूक़ अहमद डार उर्फ बिट्‌टा कराटे शामिल हैं। 

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एनआईए का आरोप है कि इस धन का प्रयोग जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों और अलगाववादियों के वित्त पोषण के लिए किया जा रहा है। एजेंसी का दावा है कि आरोपी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे हैं और गैरकानूनी गतिविधियां (निरोधी) कानून के तहत यह दंडनीय है। जांच एजेंसी का आरोप है कि आरोपी कथित रूप से भारत-विरोधी प्रदर्शनों और बंद के माध्यम से अशांति फैला रहे हैं।

इस सिलसिले में गिलानी और उनके बेटों नईम तथा नसीम व अन्य अलगाववादी नेताअों से पूछताछ भी की जा चुकी है। इसके बाद पहले दौर में कश्मीर, दिल्ली और हरियाणा में कई जगहों पर छापे मारे गए थे। एनआईए का तर्क है कि पाकिस्तान से मिलने वाली आर्थिक मदद अलगावादियों और उनके समर्थकों के ज़रिए कश्मीर में हिंसा और आतंकी गतिविधियों को अंज़ाम देने वालों तक पहुंच रही है। 

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