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आधुनिक अंतरिक्ष युग में भारत बना रोल मॉडल: राधाकृष्णन

वाराणसी, 10 अक्टूबर (हि.स.) । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष पद्मभूषण डॉ. के. राधाकृष्णन ने कहा कि आधुनिक अंतरिक्ष युग के अभी के दशक में भारत वैश्विक अंतरिक्ष कमेटी में यूएसए, रशिया, ईएसए, जापान, चीन के बाद अपना खास स्थान रखता है। 

अंतरिक्ष अनुप्रयोग में भारत एक रोल माडल के रूप में वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता है। हमारे 39 पीएसएलवी की सफलताओं को वैश्विक स्तर पर सराहा गया। हाल में ही 104 उपग्रहों को एक साथ अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक छोड़कर भारत ने अपनी राकेट के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता उपलब्धियों को रेखांकित कर दिया। 

मंगलवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 39वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि डा. राधाकृष्णन ने 57 मेधावियों को गोल्ड मेडल देने के बाद छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मंगल अभियान में 24 सितम्बर को भारत प्रथम एशियाई देश बना जिसने मंगल के परिक्रमा पथ पर अन्तरिक्ष यान छोड़ा। इस अभियान में प्रथम प्रयास में ही सफलता पाने का गौरव प्राप्त किया जबकि मंगल अभियान में सोवियत संघ, रशिया, यूएसए, यूरोप तथा जापान के प्रयास में पहली बार 60 फीसद असफलता मिली। उन्होंने कहा कि तकनीक ने शिक्षा के क्षेत्र में नया आयाम दिया। नई तकनीकी के माध्यम से आम आदमी तक शिक्षा पहुंच रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा का तक्षशिला एवं नालन्दा के समय से अब तक का शानदार एक इतिहास है। देश के युवा तेजस्वी कुशाग्र और ऊर्जावान हैं।

इसके पूर्व समारोह का आगाज शैक्षणिक शिष्टयात्रा, राष्ट्रगान, दीप प्रज्जवलन, विवि के कुलगीत से हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. के. राधाकृष्णन और समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलाधिपति और सूबे के राज्यपाल राम नाईक के हाथों स्वर्ण पदक पाकर मेधावियों के चेहरे खिल गए। खास बात रही कि स्वर्ण पदक पाने वालों में 45 छात्राएं रही जिसमें विश्वविद्यालय में सर्वोच्च अंक के लिए एमबीए की शिवानी जायसवाल को डॉ. विभूति नारायण सिंह स्मृति स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। समारोह में 99,893 उपाधियां बांटी गईं।

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