उत्तर प्रदेशखबरेराज्य

कर्ज माफी से दो भागों में बंटा किसान, सहकारी बैंक हलाकान

कानपुर, 26 जून : लघु व सीमान्त किसानों का प्रदेश सरकार द्वारा फसली ऋण माफ करने से किसान दो भागों में बंट गया है। जिसके चलते जो इस दायरे से बाहर हो गए साथ ही जो नियमित ऋण जमा करते है, उनमें रोष व्याप्त हो गया और अब वह भी ऋण देने को तैयार नहीं हैं। जिससे सहकारी बैंकें ऋण वसूली को लेकर हलकान हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक कानपुर नगर में अब तक मात्र 20 फीसदी ही सहकारी बैंक ऋण वसूल पाई हैं।

भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए चुनावी वादे के मुताबिक प्रदेश में सरकार बनते ही लघु और सीमांत किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ कर दिया, लेकिन जो इस दायरे से बाहर हो गये यानि 12 बीघा जमीन से ऊपर वाले व नियमित खाद बीज के लिए सहकारी बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों में नाराजगी व्याप्त हो गई। गांवों में उलझन, असमंजस, नाराजगी का आलम ये है कि सहकारिता बैंकों और समितियों की ऋण वसूली पिछले वर्षो की तुलना में आधी रह गई है। जब कर्मचारी उनसे वसूली को जाते हैं, तो वह तर्क देते हैं कि हम भी तो किसान हैं। हम ऋण अदा करते रहे और दूसरे किसान नहीं, मतलब हमें ईमानदारी की सजा दी जा रही है। चूंकि मामला सरकार के निर्णय का है, इसलिए कर्मचारी जैसे-तैसे समझाने का प्रयास कर रहे हैं। मगर, खुलकर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं।

तिब्बत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा भारत: जिग्मे सुल्ट्रीम

बताते चलें कि किसान खेती के लिए किसान बैंकों के अलावा सहकारिता बैंकों और समितियों से भी ऋण लेते हैं। फसल आने के बाद ऋण की वसूली की प्रक्रिया शुरू होती है। इनमें बहुत किसान ऐसे होते हैं, जो किन्हीं कारणों के चलते ऋण नहीं चुका पाते। कर्जदार के रूप में यही किसान सरकार के लिए चुनौती हैं, जिनमें से लघु और सीमांत किसानों का कर्ज सरकार ने माफ कर दिया। मगर, कुछ किसान ऐसे होते हैं, जो समय पर पैसा चुका देते हैं। सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता प्रमोदवीर आर्य ने बताया कि हर साल सहकारिता बैंकें और समितियां जून माह में ऋण वसूली करती हैं और जून माह में ही हर वर्ष लगभग 40 फीसदी ऋण वसूली हो जाती थी, लेकिन इस साल मात्र 20 फीसदी ही हो पाई।

प्रदेश सरकार ने लघु व सीमान्त किसानों के एक लाख तक के फसली ऋण माफी की घोषणा कर दी लेकिन सटीक जानकारी न होने से भी मामला फंस रहा है। जिससे कर्ज माफी के दायरे से बाहर हुए किसान अभी भी राहत की आस लगाए हुए हैं। जिसके चलते वह ऋण चुकाने को तैयार नहीं है। हालांकि सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता प्रमोदवीर आर्य ने बताया कि सरकार ने उन लघु और सीमांत किसानों का कर्ज माफ किया है, जिन्होंने 31 मार्च 2016 से पहले कर्ज लिया था। कर्ज माफी के दायरे में आने वाले किसानों को भी तभी लाभ मिलेगा, जब वह नाम, पिता या पति का नाम, पता, बैंक बचत खाता संख्या, खतौनी संख्या, खसरा संख्या, भूमि क्षेत्रफल, आधार नंबर और मोबाइल नंबर की जानकारी विभाग को दे देंगे।

Related Articles

Back to top button
Close