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जब बेटी ने अपने स्तन के दूध से पिता की बचाई जान .

@# रोम की यह तस्वीरे पिता-पुत्री के रिश्ते की पवित्रता को साबित करती है। जंहा एक बेटी ने बेटी  का फर्ज अदा करते हुए अपने स्तन के दूध से अपने पिता की जान बचा ली .इस कहानी का जिक्र रोम के महान इतिहासकार वलेरियस मैक्सिमस ने अपनी एक किताब में किया है।

आज कल जिधर देखा जाय उधर दो चार कलयुगी बाप आप को मिल ही जाएगे जो बाप वेटी के रिश्ते को तार –तार करते नजर आते है . ऐसी कई घटनाये सामने भी आ चुकी है जिसमे बाप ने अपनी बेटी को ही अपने हवस का शिकार बना डाला है .लेकिन ऐसे कलयुगी बाप पर यह कहानी तमाचा लगाती है .बताया जाता है की पुरातन रोम में एक राजा हुआ करता था जिसका एक बड़ा भाई था और उसकी एक बेटी थी जो काफ़ी खूबसूरत थी। राजा को अक्सर यह डर सताता रहता था कि उसका बड़ा भाई उसे एक दिन मार उसका राजपाठ लूट लेगा।

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डर के चलते राजा ने अपने बुजुर्ग भाई साइमन को काल कोठरी में बंद करने का आदेश दे दिया। साथ ही राजा ने अपने सैनिकों को यह आदेश भी दिया कि जब तक साइमन की मौत न हो जाए तब तक उसे कुछ भी खाने या पीने को नहीं दिया जाए। राजा का आदेश मिलने के बाद सैनिकों ने ऐसा ही किया। जब साइमन की बेटी को इस घटना की सुचना मिली कि उसके पिता को बिना किसी दोष के बंधक बनाकर उसे काल कोठरी में बंद कर दिया गया है.

वह राजा के दरबार में पहुँच कर वह सीधे राजा के पैरों पर गिरकर पड़ी और अपने पिता को रिहा करने के लिए गिड गिडाने लगी। और उसने राजा से कहा, ’’यदि आप मेरे पिता को रिहा नहीं करना चाहते तो ठीक है लेकिन आप मुझे दिन में दो बार अपने पिता से मिलने की अनुमति दें।’’

राजा ने उसकी यह बात इस शर्त पर मान ली कि जब भी वह अपने पिता से मिलने जाएगी तो सैनिकों द्वारा उसकी तलाशी ली जाएगी और यदि उसके पास कुछ खाने –पिने की चीज़ मिली तो उसे भी अपने पिता के साथ काल कोठरी में बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा राजा ने अपने सैनिकों को उस काल कोठरी की दीवार में एक छेद करने के लिए भी कहा जिसके जरिए साइमन और पेरु आपस में बात कर सकें।जब पहले दिन पेरु अपने पिता साइमन से मिलने कालकोठरी के बाहर गई तो उसने देखा कि उसके पिता की हालत बहुत खराब है। यदि उन्हें कुछ दिन और खाना –पानी नहीं मिला तो वह मर जाएंगे।

उस दिन से उसे अपने पिता की चिंता अधिक सताने लगी और उसने बिना कुछ सोचे समझे अपने स्तन को उस छेद के जरिए अपने पिता की ओर बढ़ा दिया और उन्हें दूध पीने के लिए कहा. लेकिन अपनी वेटी की इस बात को सुनकर साइमन अचंभित रह गया और वह इस सोच में पड़ गया की वह अपने वेटी के दूध को कैसे पिए लेकिन उसके पास अपनी जान बचाने के लिए दूसरा कोई चारा भी नहीं था . आखिर कर उसने अपने वेटी की बात को मान लिया . जिसके बाद हर रोज़ उसकी वेटी अपने स्तन का दूध अपने पिता को पिलाने लगी ताकि उसके पिता कुछ दिन और ज़िंदा रह पाएं।

यह सिल सिला काफी दिनों तक चलता रहा जब पेरू अपने पिता को मिलने जाती वह अपने स्तन के दूध को अपने पिता को जरुर पिलाती .काफ़ी समय गुजरने के बाद अब राजा को यह लगने लगा की उसका भाई कुछ ही दिन का मेहमान है. यह सोचते हुए जब राजा अपने भाई से मिलने काल कोठरी गया तो उसने देखा कि उसका भाई साइमन केवल थोड़ा कमज़ोर हुआ था लेकिन मरा नहीं था। यह देख कर उसे काफ़ी आश्चर्य हुआ जिसके बाद राजा को उसकी भतीजी पर शक होने लगा था। उसे लगने लगा था कि पेरु ने साइमन पर कोई जादू-टोना किया है। इस बार राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि वो पेरु पर नज़र रखें।

जिसके बाद पेरु के आने का समय होने से पहले ही सैनिक ऐसी जगह पर छुपकर बैठ गए जहां से उन्हें साइमन और पेरु दोनों दिखाई दें। अब पेरु के आने का वक्त हो चुका था। जैसे ही वो आई उसने साइमन से कुछ बातें की। इसके बाद बड़ी ही चालाकी से पेरु ने बाहर खड़े सैनिकों की तरफ पीठ करके धीरे से अपनी चोली उठाई और बूढ़े पिता को दूध पिलाने लगी। ये देखकर सैनिक हक्के-बक्के रह गए। इसके बाद सैनिकों ने साइमन के साथ-साथ पेरु को भी बंधक बनाकर कालकोठरी में डाल दिया।और इस घटना की जानकारी रजा को दिया राजा ने दोनों को राजदरबार में पेश करने का हुक्म दिया।

राजदरबार के सभी लोग बाप वेटी की इस हरकत से काफ़ी क्रोधित थे  उनका कहना  था कि साइमन और पेरु ने बाप-बेटी के रिश्ते को कलंकित किया है। इसलिए इन्हें सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए. लेकिन राजदरबार कुछ लोग इसके विपरीत विचार के थे उनका मानना था कि साइमन और पेरु ने पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते की अनोखी मिसाल पेश कि है क्योंकि पेरु का पिता के प्रति प्यार सच्चा था और वो हर हालत में अपने पिता को बचाना चाहती थी इसलिए उसने ये कदम उठाया।

जिसे देखते हुए पेरु के समर्थको की संख्या बढ़ने लगी और जिस दिन उनको राजदरबार में पेश किया गया उस दिन लोग राजमहल के बाहर इकट्ठा होकर राजा का विरोध करने लगे। लोगो के विद्रोह को देखते हुए विद्रोह के डर से और पेरु के समर्थन में उमड़े जन सैलाब को देख कर राजा ने पेरु और उसके पिता साइमन को दण्ड मुक्त कर दिया। हालांकि ये कहानी नैतिकता के कुछ विपरीत है फिर भी इसे रोम में सम्मान की नज़रों से देखा जाता है। हालांकि यह पेंटिंग रोम में आज भी बहुत फेमस है जिसे अदब की नजरो से देखा जाता है .

 

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