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जाने मुंबई में किसने खरीदी दाऊद इब्राहिम की संपत्तियां

मुंबई, 14 नवम्बर : कुख्यात बदमाश दाऊद इब्राहिम की तीन संपत्तियों की नीलामी आज (मंगलवार) को चर्चगेट इलाके के इंडियन मर्चेंट चैंबर में मंगलवार सुबह काफी गहमागहमी और पुलिस बंदोबस्त के बीच हुई .

मुंबई के भिंडी बाज़ार इलाक़े में स्थित ये संपत्तियां सैफ़ी बुरहानी अपलिफ़्टमेंट ट्रंस्ट ने मुंबई के आईएमसी चैंबर ऑफ कॉर्मस एंड इंडस्ट्री में हुई नीलामी में हासिल की हैं. ये ट्रस्ट ही इन संपत्तियों की देखभाल कर रही थी.जांच एजेंसी सीबीआई ने साल 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम कास्कर की कुल दस संपत्तियां ज़ब्त की थीं.

इनमें से तीन- रौनक अफ़रोज़ होटल, डम्बरवाला बिल्डिंग और शबनम गेस्ट हाउस की मंगलवार को नीलामी की गई. इनमें डामबरवाला बिल्डिंग, पाकमोडिया स्ट्रीट, मुंबई नीलामी की शुरुआती कीमत- एक करोड़ 55 लाख 76 हजार, होटल रौनक अफरोज- पाकमोडिया स्ट्रीट, मुंबई, नीलामी की शुरुआती कीमत- एक करोड़ 18 लाख 63 हजार और शबनम गेस्ट हाउस- पाकमोडिया स्ट्रीट, मुंबई , नीलामी की शुरुआती कीमत- एक करोड़ 21 लाख 43 हजार तय की गई .

संपत्तियां हासिल करने वाली ट्रस्ट के प्रवक्ता ने BBC से कहा, “ये तीनों संपत्तियां भिंडी बाज़ार में चल रहे हमारे पुनर्विकास प्रोजेक्ट में आती हैं. इमारतें बेहद ख़स्ताहाल स्थिति में हैं और रहने के लायक नहीं हैं. इमारतों में रह रहे परिवारों की सुरक्षा के मद्देनज़र और पुनर्विकास प्रोजेक्ट को ध्यान में रखते हुए हमने नीलामी में हिस्सा लिया और ये तीनों संपत्तियां हासिल की.”

अफ़रोज़ रेस्टोरेंट की नीलामी 4.53 करोड़ रुपए, डम्बरवाला बिल्डिंग की नीलामी 3.53 करोड़ रुपए और शबनम गेस्ट हाऊस की नीलामी 3.52 करोड़ रुपए में की गई.इन संपत्तियों में रह रहे क़िरायेदारों ने नीलामी रोकने के लिए साफ़ेमा ट्राइब्यूनल में याचिका दायर की थी जिसे रद्द कर दिया गया.

केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने ‘द स्मगलर्स एंड फॉरेन एक्सचेंज मैन्युप्यूलेटर्स(फॉरफ़ीचर ऑफ़ प्रापर्टीज़) एक्ट’ के तहत दाऊद इब्राहिम की ये संपत्तियां ज़ब्त की थीं.वित्त मंत्रालय ने कई बार इन संपत्तियों को नीलाम करने की कोशिश की थी लेकिन पहले ये नीलाम नहीं हो सकीं थीं.

संपत्तियां हासिल करने वाला ट्रस्ट बोहरा समुदाय का संगठन है जो मुंबई के भिंडी बाज़ार इलाक़े में एक बड़ा पुनर्विकास प्रोजेक्ट चला रही है.ये मुंबई के सबसे बड़े पुनर्विकास प्रोजेक्टों में से एक है जिस पर क़रीब चार हज़ार करोड़ रुपए ख़र्च किए जा रहे हैं. इसके तहत भिंडी बाज़ार इलाक़े के पुराने मकानों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है.इस ट्रस्ट की स्थापना साल 2009 में बोहरा समुदाय के दिवंगत धर्मगुरू डॉ. सैयदाना मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने की थी. ये ट्रस्ट ही इन संपत्तियों की देखभाल भी कर रही थी.

अगस्त में मुंबई के भिंडी बाज़ार में गिरी इमारत भी इसी ट्रस्ट के संरक्षण में थी. इस हादसे में 33 लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने इस हादसे के बाद ट्रस्ट पर मुक़दमा भी दर्ज किया था.हालांकि इन संपत्तियों की नीलामी हमेशा चर्चा का विषय रही और नीलामी में हिस्सा लेने वालों ने सुर्ख़ियां भी ख़ूब बटोरी.

अखिल भारतीय हिंदू महासभा से जुड़े स्वामी चक्रपाणी दाऊद इब्राहिम की संपत्तियां ख़रीदकर वहां शौचालय बनवाने का दावा करते रहे हैं.

स्वामी चक्रपाणी ने कहा, “इन संपत्तियों के नीलामी में बिकने का स्पष्ट संदेश ये है कि अब डॉन दाऊद का ख़ौफ़ ख़त्म हो गया है.”उन्होंने कहा, “मैं स्वयं इनमें से एक संपत्ति ख़रीदकर वहां शौचालय बनवाना चाहता था लेकिन मैं संत हूं और मेरे पास इतना पैसा नहीं हैं कि संपत्ति को अपने नाम पर ख़रीद सकूं.”उन्होंने दावा किया कि नीलामी में उनसे जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया लेकिन वो संपत्ति हासिल नहीं कर सके.

जब स्वामी से पूछा गया कि क्या वो चर्चा में आने के लिए इन संपत्तियों को ख़रीदने की कोशिश करते हैं तो उन्होंने कहा, “यदि दाऊद की संपत्तियों की नीलामी में हिस्सा लेकर आतंकवाद के ख़िलाफ़ मुहिम को प्रचार मिलता है तो ये अच्छी बात है, हर व्यक्ति को ऐसे प्रयास करने चाहिए.”

साल 2015 में भी दाऊद इब्राहिम की संपत्तियां नीलाम की गईं थीं. तब पूर्व पत्रकार बालाकृष्णन ने होटल अफ़रोज़़ को ख़रीद लिया था लेकिन पूरा पैसा न चुकाने की वजह से वो इस संपत्ति को हासिल नहीं कर सके थे.बालाकृष्णन कहते हैं, “मैंने दाऊद के ख़ौफ़ को चुनौती देने के लिए नीलामी में हिस्सा लिया था. मुझे दाऊद की ओर से धमकियां भी दी गईं थीं और मारने के लिए एक शॉर्प शूटर भी भेजा गया था जो फिलहाल ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं.”

बालाकृष्णन कहते हैं कि उन्होंने सरकार से आग्रह किया था कि ये संपत्तियां मुंबई पुलिस को दे दी जाएं लेकिन ऐसा नहीं किया गया.बालाकृष्णन का ये भी कहना है कि जो संपत्तियां बिकी हैं वो मुंबई में दाऊद की मिलकियत का चिल्लर भर भी नहीं हैं.

इन दिनों वकालत कर रहे बालाकृष्णनन का ये भी कहना है कि वो भिंडी बाज़ार इलाक़े में चल रहे सैफ़ी बुरहानी ट्रस्ट की पुनर्विकास परियोजना के ख़िलाफ़ अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं.उनका कहना है कि महाराष्ट्र सरकार ने नियमों की अवहेलना करके ट्रस्ट को भिंडी बाज़ार के पुनर्विकास का कार्य दिया है. हि.स

 

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