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दफनभूमि पर 11 करोड़ के खर्च को लोक प्रतिनिधियों से वसूला जाये : कांग्रेस

वसई(आर एन सिंह) वसई पश्चिम अंतर्गत सनसिटी स्थिति सभी धर्मों की दफ़न भूमि  के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा आदेश दिया गया है। दफ़न भूमि की जमीन का सर्वे, मिटटी भरनी, माप और बाउंड्री वाल्व निर्माण के लिए पालिका अब तक ११ करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है| कांग्रेस की ओर से काम की अनुमती देने वाले लोकप्रतिनिधी से दफ़न भूमि पर हुए खर्च की राशि को वसूलने के लिए जिला अधिकारी से पत्र देकर मांग की गयी है| 
ज्ञात हो कि वसई पश्चिम स्थित सनसिटी क्षेत्र में सर्वे क्रमांक १७६ व १७७ के ढाई एकड़ जमीन पर पालिका की ओर से सर्वधर्म दफनभूमि निर्माण का कार्य किया जा रहा था| हरित पट्टा का किनारा नियंत्रण क्षेत्र वर्ग २ के निर्माण को लेकर अनुमती लेने के लिए राष्ट्रीय हरित से अनुरोध किया गया| उक्त मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है| आदेश में ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा आदेश दिया गया। मनपा द्वारा दफ़न के लिए ११ करोड़ खर्च किये जा चुके है| ४.०० करोड़ खर्च कर उक्त स्थान में मिटटी भरनी की गयी है|
ठेकेदार द्वारा बिना अनुमती के मिटटी भरने के कारण महसूल विभाग का ५.०० करोड़ दंड पालिका को लगाया गया है,जबकि १०० गुंठा जमीन के सर्वेक्षण के लिए ४० लाख खर्च किया गया था| बाहर परिसर की दीवाल के निर्माण का आदेश हरित निर्णय द्वारा दिया गया है| इसके लिए होने वाला अतिरिक्त खर्चा पालिका को वहन करना होगा| वही कांग्रेस के महासचिव नंदकुमार महाजन ने कहा कि सर्वधर्म दफ़न  भूमि में लगने वाली राशि आम नागरिको का है| पालिका द्वारा किये गए खर्च को नागरिकों पर क्यों थोपा जा रहा है| उन्होंने कहा कि पालिका की ओर से अनुमती ली गयी होती तो सर्वधर्म श्मशान भूमि के लिए यह स्थिति ही नहीं आती| 
महाजन ने पालिका के निर्णय पर जोरदार विरोध किया गया|  उन्होंने कहा कि उक्त जमीन का सर्वेक्षण बोगस किया था| पालिका द्वारा भूमि अभिलेख कार्यालय को बोगस सर्वेक्षण भी करने की बात कही| हरित फैसले के निर्णय के बाद पालिका को पूर्ववत गले की हड्डी बनने वाला है| पालिका द्वारा सभी अनुमती अधूरी ली गयी है, जिसके कारण महाजन ने जिला कलेक्टर को उन लोगों को आदेश देने के लिए कहा है जिन्होंने उन्हें लागत वसूलने की अनुमति दी है। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उक्त स्थान को पूर्वत करने का आदेश देने के बाद पालिका की ओर दो बार मुहीम चलाया गया,लेकिन स्थानीय लोगों के तीव्र विरोध के बाद उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा| 

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