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नोटबंदी ने डाई मेकरो का किया बुरा हाल,इन पर छाये संकट के बादल !

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संजय सिंह ठाकुर

केशव भूमि नेटवर्क : (चिंचणी) = अगर आप नए नए डिजाईन के गहने पहनना पसंद करते है तो आप के अरमानो पर पानी फिर सकता है और आप को पुराने डिजाईन के गहनों से ही संतोष करना पड़ सकता है ,वैसे तो  पुरे दुनिया में गहनों की काफी मांग है लेकिन इन गहनों के साथ साथ इन गहनों की डिजाइन भी काफी मायने रखती है, क्योंकी डिजाईन ही गहनों में चार चाँद लगाती है . जब भी कोई गहना खरीदने जाता है तो वह पहले गहने का डिजाइन देखता है , लेकिन 1000 और 500 के नोट बंद हुए 50 दिन बीत जाने के बाद भी सोने- चांदी के गहनों के डिजाईन की डाई बनाने वाले डाई मेकारो पर संकट का बादल छाया हुआ है . जो छटने का नाम नहीं ले रहा हैं .

palghar-dai-foto-5 पालघर जिला के चिंचनी व आस-पास के क्षेत्रो में गहनों  के नए- नए डिजाईन के डाई बनाने का काम पिछले 100 सालो से होता आ रहा है . इस क्षेत्र में करीब 7000 हजार डाई मेकर्स काम करते है ,यंहा बनने वाली डाई की मांग दिल्ली, मुंबई , कोलकाता, आसाम गुजरात ,चेन्नई के साथ पुरे देश में है , साथ ही विदेशो में भी इसकी काफी मांग है , यंहा देश

के कोने कोने से डाई बनाने के लिए आर्डर लेकर एजंट आते है और डाई बनवा कर ले जाते है . जो नामचिन्ह गहना बनाने वाली कंपनियों को बेचते है . कई नामचिन्ह कंपनिया खुद आर्डर दे कर यंहा से डाई बनवाती है, लेकिन आज इन्ही डाईमेकरो पर संकट का बादल छाया हुआ हैं जो छटने का नाम नहीं ले रहे है.

palghar-dai-fotoपहले तो इन पर उस समय संकट के बादल छाए जब बीजेपी सरकार ने ज्वेलर्स पर 1 प्रतिशत का टैक्स लगा दिया था और जिसके विरोध में पूरे देश के ज्वेलर्स के व्यापारी अनिश्चित काल के लिए हड़ताल पर चले गए थे  , अभी यह बादल छटा नहीं था कि सरकार ने 1000 और 500 के नोट बंद कर दिए , जिसके बाद से इनके संकट के बादल और गहरा गए और इनका डाई बनाने का काम ठप्प पड़ता जा रहा है .

palghar-daimekar-stori-vijual01-013_0001hइन डाईमेकरो का कहना है कि नोट बंद होने के बाद से हमारा धंधा ठप्प हो गया है हमारे पास डाई बनाने के आर्डर है और हमने डाई भी बनाया है लेकिन ज्वेलर्स वाले उसे ले जाने को तैयार नहीं है उनका कहना है कि हमारे पास अभी पैसा नहीं है नाही धंधा , जब शुरू होगा तब लेकर जाएंगे . जिसके बाद से हमारा धंधा ठप्प पड़ा है,

palghar-daimekar-stori-vijual01-011_0001इस क्षेत्र में हर साल करीब 30 करोड़ का व्यवसाय होता है ,यंहा करीब 100 साल पहले से ही बनता है मेड इन  इण्डिया का डाई बनता हैं , जानकारों की माने तो यहाँ साल में करीबन 30 करोड़ का व्यापार होता हैं .

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डाई मेकर – वसीम

वसीम – हमारे पास डोमेस्टिक आर्डर के साथ गल्फ देशो से भी ऑर्डर आते हैं.लेकिन नोट बंद होने से हमें बहुत फर्क पड़ा हैं . पहले सरकार ने ज्वेलर्सो पर टैक्स लगाया था और ज्वेलर्सो की दुकान बंद होने के कारण ज्वेलर्स हमसे डाई नहीं ले रहे थे. उस संकट से हम उबरे भी नहीं थे की, नोटबंदी का दूसरा संकट आ गया . अगर हम उन्हें माल बनाकर दे रहे हैं तब भी वो हमें पैसा नहीं दे रहे हैं . जिसके कारण हमें काफी दिक्कते हो रही हैं. पैसे के आभाव में हम दुसरे आर्डर भी पुरा नहीं कर पा रहे हैं. कच्चा माल लेन के लिए भी पैसे नहीं हैं .

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डाई मेकर – हेमंत

हेमंत – हम लोगो का यह धंधा हमारे बाप-दादा के ज़माने से चला आरहा है, जिसके के लिए सरकार हमें कोई मद्दत नहीं करती .हम लोग हमारे दम पर किसी तरह इस धंधे को कर रहे हैं. लेकिन नोटबंदी  होने के बाद से हमारा धंधा चौपट हो गया हैं . लोगो ने हमें डाई बनाने के लिए आर्डर तो दिया हैं , लेकिन अब वह उसे लेकर नहीं जा रहे हैं , उनका का कहना हैं की बैंक में पैसा निकालने की लिमिट होने के कारण हम पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं. जब हमारे पास पैसा आएगा तब ले जायेंगे .

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डाई मेकर – शशिकांत किनी

शशिकांत किनी – नोट बंदी का हमारे धंधे पर काफी असर हुआ हैं. पहले हमारे पास इतना  काम रहता था की सामने वाले को हम डेट देते थे, आज हमको उनके पीछे भागना पड़ रहा हैं की हमें काम दो . बहुत सारे ऐसे कामगार हैं जो यह डाई बनाने का काम छोड़ कर कंपनियों में काम करने के लिए जा रहे हैं .

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एजेंट – अशोक

एजेंट – अशोक – मैं पिछले कई सालो से दूसरे राज्यो में डाई सप्लाई करने के लिए एजेंट के रूप में कामकर रहा हु लेकिन नॉट बंद  बाद आर्डर मिलना बंद हो गया हैं।  और कोई ऑर्डर देता भी हैं तो पैसे के अभाव में  मैं उस ऑर्डर को नहीं ले पा रहा हु।  व्यापारी लोग या तो अपनी दुकानों , घरो में बैठे या दुकानों में केवल टीवी देख रहे हैं।  अगर हमारे पास थोड़ी बहुत खेती नहीं रहती तो हम लोग भूखे मर जाते . 

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