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पश्चिमी उ.प्र. में बसपा ने दिखाई अपनी ताकत

मेरठ, 01 दिसम्बर (हि.स.)। पहले लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनावों में अपनी ताकत खोने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जोरदार वापसी की है। प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में बसपा के दमखम दिखाने के बाद से भाजपा में खलबली मची हुई है। मेरठ और अलीगढ़ में जीत के साथ ही बसपा का हाथी चिंघाड़ा है।

2014 के लोकसभा चुनावों में बसपा का यूपी से सूपड़ा साफ हो गया था। पार्टी का एक भी सांसद नहीं जीत पाया। 2017 के विधानसभा चुनावों में भी बसपा ने अपने दलित वोट बैंक को समेटकर नहीं रख पाई और प्रदेश में केवल 19 सीटें ही नहीं जीत सकी। मेरठ जनपद में भी बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। नगर निकाय चुनावों में बसपा ने इस बार सिंबल पर अपने प्रत्याशी उतारे और प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई। मेरठ में बसपा की सुनीता वर्मा ने भाजपा की कांता कर्दम को करारी शिकस्त दी। इसी तरह से बसपा ने अलीगढ़ सीट पर भी जीत दर्ज की। बाकी नगर निगमों में भी बसपा प्रत्याशियों ने जोरदार वापसी की। इससे बसपा के कैडर वोट बैंक को भी अपनी खोई ताकत का फिर से अहसास हो गया है।

बसपा की ताकत इकट्ठा हुई तो मुस्लिम भी जुटे

बसपा की ताकत दलित वोट बैंक और मुस्लिम माने जाते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बसपा से दलित तो छिटके ही, मुस्लिम वोटरों ने भी बसपा से किनारा करके सपा को अपनाया। नगर निकाय चुनावों में दलितों ने तो बसपा से प्रेम किया है, मुस्लिमों ने भी बसपा अपना लिया। इसी कारण मेरठ में बसपा ने जोरदार जीत हासिल की। मेरठ के शहरी क्षेत्र में दलित वोटरों के जुटने के साथ ही मुस्लिमों ने भी बड़ी संख्या में बसपा को वोट किया। इसी कारण महापौर पद के साथ-साथ मेरठ नगर निगम में बसपा ने पार्षदों के एक दर्जन से ज्यादा पदों पर जीत हासिल की है।

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