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पालघर जिला : डहाणू में लगातार भूकंप के झटकों से ग्रामीण दहशत में हैं, तो वैज्ञानिक भी है हैरान , एनसीएस एवं आईएमडी टीम की नजर

केशव भूमि नेटवर्क –सूर्यप्रकाश मिश्र  ,: मुंबई से सटे पालघर जिले के डहाणू तालुका के कुछ गांव में बार बार महसूस किए जा रहे भूकंप (Earthquake ) के हल्के झटकों की वजह से उन इलाकों में कई महीनो से दहशत का माहौल बना हुआ है.वही भूकंप के इन झटको को लेकर वैज्ञानिक भी हैरान है.                     

ज्ञात हो को पालघर जिला के आदिवासी बहुल डहाणू तालुके के कुछ गांव में गाहे बगाहे धरती के अंदर कम्पन होने की शिकायत होती रहती है.इस कम्पन की वजह से जहाँ गांव वाले डर के साये में जीने को मजबूर हैं . अभी तक इस क्षेत्र में करीब एक दर्जन भूकंप के झटके चुके है, जिसकी रिएक्ट स्केल पर 3.2 से लेकर 3.6 तक तीव्रता नापी गई है. जबकि की इससे कम तीव्रता वाले झटको का कोई लेखा जोखा नहीं है .वहीं इस कम्पन का पता लगाने में सरकारी महकमे को अभी तक कोई सफलता नही मिली है.

वैज्ञानिक भी अचंभे में…………

बताया गया है कि डहाणू ,तलासरी तहसील में महसूस किए गए इन झटको को लेकर वैज्ञानिक भी अचम्भे में हैं. चांद और मंगल तक पहुँच चुके देश दुनिया के वैज्ञानिक इन झटको को लेकर अभी भी किसी सही  नतीजे पर नहीं पहुँच पाए हैं. बताया जा रहा है कि नेशनल सेंटर फॉर.सिस्मोलाजी(एनसीएस) जो भूतल विज्ञान मंत्रालय के तहत कार्य करता है,उसके वैज्ञानिक भी इन झटको के कारणों का अभी तक पता नही लगा पाए हैं.

वैज्ञानिक एव एनसीएस के निदेशक विनीत कुमार के अनुसार  हम भी हैरान हैं,इन हलचल को भूकंप तो नही कहा जा सकता.निदेशक विनीत कुमार गहलोत के अनुसार इस इलाके में भूकंप जैसी स्थिति नही दिखाई दे रही है,हालांकि कुछ समय ऐसे छोटे कम्पन महसूस किए जा सकते हैं, इससे नुकसान की संभावना नही दिखाई पड़ती.गौरतलब है कि इस इलाके में हाल में कोई बरसात आदि भी नही हुई,लेकिन बड़ी माइनिंग से भी कंपन की स्थिति पैदा होती है.वैज्ञानिक यह पता लगा रहे हैं कि डहाणू इलाके में बड़ी खुदाई तो नही हो रही है.

पहले भी आये थे हल्के झटके

उल्लेखनीय है कि पालघर के डहाणू एव जव्हार तालुके के गांव में पहले भी हल्के झटके महसूस किए जाते रहे हैं. गत नवंबर माह में भी यहाँ कुछ गॉव में धरती के अंदर से कंपन महसूस किया गया.इसके अलावा दो साल पहले जव्हार में भी हल्के झटके कई बार महसूस किए गए.जव्हार नगरपालिका के पूर्व उपनगर अध्यक्ष रहे संदीप मुकने ने बताया कि जव्हार में भी कई बार इस तरह हल्के झटको की वजह से रहिवासी दहसत में आ जाते हैं. दो साल पहले आये झटको की वजह से तो कई घरों की दीवारें चटक गई थीं. संदीप मुकने ने कहा कि नुकसान की आशंका को देखते है शासन प्रशासन को कड़ी नजर रखनी होगी.ग्रामीणों का कहना है कि गत नवम्बर में तो लगभग 40 बार हल्के झटके महसूस किए गए.

2.5 रिएक्टर स्केल क्षमता

लगातार हो रहे कम्पन की वजह से प्रशासन भी हैरान है.इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट(आईएमडी) की नजर भी इस इलाके में धरती के नीचे होने वाले कम्पन पर लगी हुई है.बताया गया है कि लगभग 15 झटके 2.5 रिएक्टर स्केल के थे,जबकि 5 झटके 3 रिएक्टर स्केल का था,जबकि एक झटका 3.6 रिएक्टर स्केल पर दर्ज किए गए.

आईएमडी के सहायक वैज्ञानिक किरण निखाड़े के अनुसार डहाणू धुंदलवाडी गांव पर लगातार नजर रखी जा रही है.धरती के अंदर गतिविधियों पर सिस्मोमिटर और डिजिटल सिस्मोग्राफ तकनीक के माध्यम से हलचल पर नजर है.यह तकनीक बराबर स्थिति पर नजर रखे हुए है. किरण निखाड़े के अनुसार किसी क्षेत्र में भूकंप की स्थिती को 4.9 मैग्नीट्यूड के आधार पर मापा जाता है. वैसे प्रभावित क्षेत्र के आसपास 30 से 40 किलोमीटर के रेंज में 25 गांव इस हलचल से प्रभावित हो सकते हैं. रविवार को धरती के नीचे हुई हलचल से महसूस किए गए झटके का असर तालसरी और गुजरात सीमा पर उमरगांव तक महसूस किया गया.

धुंदलवाडी के सरपंच शिवाजी महाले के अनुसार नवम्बर के बाद झटके बंद हो गए थे, इससे गॉव वालों ने राहत की सांस ली,लेकिन रविवार,गुरुवार को फिर से झटके महसूस होने पर लोग डर से घर के बाहर रात बीता रहे हैं. लोंगो ने खुले एरिया में टैंट लगाया हुआ है,और अभी भी दहशत में हैं, हालांकि प्रसासन ने किसी भी प्रकार की कोई घटना या डर से इनकार किया है.

कोंकण इलाका है,भूकंप प्रवण क्षेत्र!

गौरतलब है,कि भू वैज्ञानिकों ने कोंकण क्षेत्र को भूकंप प्रवण क्षेत्र में रखा है,जिसमे ठाणे, पालघर जिला भी शामिल है.कोंकण इलाके विशेष कर ठाणे जिले में बड़े पैमाने पर बड़े बांध बनाए गए हैं. मुम्बई एव उपनगरों में पानी की आपूर्ति करने वाले भातसा,तानसा, वैतरना,सूर्या,बारवी,जैसे बड़े बांध ठाणे व पालघर जिले में हैं. इसके अलावा विकास के नाम पर ठाणे एव पालघर के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर माइनिंग का काम वर्षों से किया जा रहा है.इसका असर भी धरती के अंदर हलचल के रूप में हो रहा है.बड़े पैमाने पर डाइनामाइट लगाकर पत्थरो की खुदाई से भी पालघर के आदिवासी इलाकों में धरती के अंदर लगातार कम्पन का खतरा बढ़ता जा रहा है.

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