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‘ब्रिटिश क्राउन’ को भारत के ‘राष्ट्रीय चिन्ह’ से बदलने में लग गए 25 साल

लखनऊ, 23 नवम्बर (हि.स.)। देश की आजादी से पहले सभी सरकारी कामकाजों में ब्रिटिश क्राउन का इस्तेमाल राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में किया जाता था, ठीक उसी तरह जिस प्रकार आज हर सरकारी कामकाज में आजाद भारत के राष्ट्रीय चिन्ह सत्यमेव जयते लिखी हुई अशोक की लाट का प्रयोग किया जाता है, जिसे भारत का राज्य संप्रतीक कहा जाता है। हालांकि हैरानी वाली बात है कि असंख्य बलिदानों के बाद पाई गई आजादी के बाद भी गुलामी के प्रतीक ब्रिटिश क्राउन को भारत के वर्तमान राष्ट्रीय चिन्ह से पूरी तरह से प्रतिस्थापित करने के लिए भारत सरकार ने 25 साल लगा दिए थे, यह खुलासा एक आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।

राजधानी की एक छात्रा ऐश्वर्या पाराशर ने बीते 4 अगस्त को केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय में एक आरटीआई दायर करके भारत के राष्ट्रीय प्रतीक को घोषित करने की फाइल के रिकॉर्ड की नोटशीट सहित सत्यापित कॉपियां मांगी थी। इस आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय के पब्लिक अनुभाग के उपसचिव स्थापना एवं केंद्रीय जन सूचना अधिकारी वी.क. राजन ने पत्र लिखकर बताया है कि आजाद भारत के राज्य संप्रतीक को वर्ष 1947 में अंगीकृत किया गया था और इसके बाद आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते को वर्ष 1947 में भारत के राज्य संप्रतीक के एक अभिन्न भाग के रूप में समाहित किया गया था। राजन ने यह भी बताया है कि क्राउन को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए 26 जनवरी 1950 को भारत के राज्य संप्रतीक के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था।

भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने छात्रा को प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो की 7 नवम्बर 1950 को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति और भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के 25 साल बाद 28 अक्टूबर 1972 को जारी किये गए एक आदेश की छायाप्रति देते हुए बताया है कि भारत सरकार ने आजादी के बाद 12 अक्टूबर 1949 को तत्कालीन प्रदेश सरकारों को गुलामी के प्रतीक ब्रिटिश क्राउन को तत्काल भारत के राष्ट्रीय प्रतीक से बदलने के स्थान पर धीरे धीरे बिना किसी प्रचार के बदलने की एडवाइजरी जारी की थी।

ऐश्वर्या कहती है कि ऐसे में सवाल उठ रहे है आखिर क्या कारण था कि गुलामी के प्रतीक ब्रिटिश क्राउन को पूरी तरह हटाने के लिए भारत सरकार ने पूरे 25 साल लगा दिए और आजादी की 25वीं वर्षगांठ तक दासता के प्रतीकों को पूरी तरह हटाने के लिए भारत सरकार ने अपना यह आदेश 28 अक्टूबर 1972 को जारी किया था।

इसी आरटीआई के जवाब में यह भी बताया गया है की जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में भारत की संविधान निर्मात्री सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को अंगीकृत किया गया था और इसके साथ ही वंदे मातरम गीत को भी समान दर्जा प्रदान किया गया था और इससे संबंधित संविधान सभा की बैठक के मिनट्स के एक पेज की कॉपी भी ऐश्वर्या को दी है।

ऐश्वर्या का कहना है कि अब वह उन कारण भी जानना चाहेगी जिनकी वजह से भारत सरकार ने आजादी के बाद भी गुलामी के प्रतीकों को तत्काल हटाने के संबंध में कोई स्पष्ट सरकारी आदेश जारी नहीं किया और ब्रिटिश क्राउन की जगह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक को बदलने के लिए 7 नवम्बर 1950 को प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो से मात्र एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कराई थी।

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