Home Sliderखबरेमहाराष्ट्रमुंबईराज्य

महाराष्ट्र: पुणे में जातीय हिंसा में एक की मौत, CM फडणवीस ने दिए न्यायिक जांच के आदेश

मुंबई, 02 जनवरी : भीमा-कोरेगांव में दो समुदायों में हुए हिंसक विवाद के बाद भड़की चिनगारी के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री देेवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इस मामले की हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश से जांच करवाई जाएगी। 

फडणवीस ने आगे कहा कि, “भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे. हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी. कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई. इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मृतक के परिवार वालों को 10 लाख के मुआवजा दिया जाएगा.”  

koregaon-violence_

आप को बता दे , सोमवार को भीमा-कोरेगांव में विजय स्तंभ पर इकट्ठा हुए दो समुदायों के बीच में विवाद हो गया और इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। इस घटनाक्रम में एक युवक की मौत हो जाने की खबर है और लाखों के नुकसान की संभावना भी जताई जा रही है।  वही भीमा-कोरेगांव में घटित घटना का विरोध विभिन्न जिलों और शहरों में किया जा रहा है।

फाइल फोटो
फाइल फोटो

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने लोग से की शांति की अपील ………

वहीं इस हिंसा के लिए एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने दक्षिणपंथी संगठनों की जिम्मेदार बताया है और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. पवार ने कहा कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी. हर साल यह दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है. लेकिन इस बार कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने यहां की फिजा को बिगाड़ दिया.

फंदा लगाकर युवक ने दी जान, सुसाइड नोट में लिखा- मां तेरा कर्ज चुका नहीं पाया…माफ करना

कुछ बाहरी लोगों ने वधु गांव के लोगों भड़काया और यहां हिंसा फैल गई. आज तक भीमा-कोरेगांव के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ. प्रशासन ने भी पर्याप्त तैयारियां नहीं की थी. उन्हें यह मालूम था कि 200वीं सालगिरह होने पर यहां हजारों लोग आयेंगे, लेकिन कोई तैयारी नहीं की गई. पवार ने शांति और सद्भाव रखने की अपील लोगों से की है.

कांग्रेस ने लगाया साजिश का आरोप ……..

वहीं, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भीमा-कोरेगांव में हिंसा साजिश के तहत फैलाई गई. मुंबई कांग्रेस के डॉ. राजू वाघमारे ने कहा कि पहले से दलितों पर हमले करने की प्लानिंग थी. आरएसएस के कुछ लोग यहां हिंसा भड़काने के लिए लंबे समय से तैयार कर रहे थे.

भीमा कोरेगांव का इतिहास ……..

bhimaबता दें कि भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे, मात्र 500 महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था.

महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सम्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया, जिन पर महारों के नाम लिखे गए. इसके बाद से पिछले कई दशकों से भीमा कोरेगांव की इस लड़ाई का महाराष्ट्र के दलित जश्न मनाते आ रहे हैं.

हर साल नए साल के मौके पर महाराष्ट्र और अन्य जगहों से हजारों की संख्या में पुणे के परने गांव में दलित पहुंचते हैं, यहीं वो जयस्तंभ स्थित है जिसे अंग्रेजों ने उन सैनिकों की याद में बनवाया था, जिन्होंने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी. कहा जाता है कि साल 1927 में डॉ. भीमराव अंबेडकर इस मेमोरियल पर पहुंचे थे, जिसके बाद से अंबेडकर में विश्वास रखने वाले इसे प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर देखते हैं. (हि.स.)। 

 

Related Articles

Back to top button
Close