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योगी और केशव ने स्वामी दयानन्द सरस्वती को जयन्ती पर किया नमन

लखनऊ, 12 फरवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने स्वामी दयानन्द सरस्वती की जयन्ती पर उन्हें नमन किया है।

मुख्यमंत्री ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘‘आर्य समाज के संस्थापक, एक महान देशभक्त, स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की जयन्ती पर उन्हें शत् शत् नमन। उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व और असीम ज्ञानकोश उन्हें इतिहास में विशेष स्थान प्रदान करता है। ज्ञान गुणवान सर्व सम्पन्न स्वामीजी का सम्पूर्ण जीवन समाज कल्याण कार्यों में बीता था।’’

वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया, ‘‘स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने मानव जाति के धार्मिक उत्थान के लिए आर्य समाज की स्थापना की। ऐसे भारत के प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक नेता, वैदिक विद्वान और पहले भारतीय जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी की वेदों के आधार पर आवाज उठायी। स्वामी जी के जयन्ती पर उन्हें कोटि कोटि नमन। ’’

स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म 12 फरवरी, 1824 को गुजरात में हुआ था। उन्होंने देश में व्याप्त कुरीतियों और अन्धविश्वासों का विरोध करते हुए समाज को नई दिशा दी और वैदिक ज्ञान के महत्व को समझाया। उन्होंने 1875 में गुड़ी पड़वा के दिन मुम्बई में आर्य समाज की स्थापना की और 1857 की क्रान्ति में अपना अमूल्य योगदान दिया। इसके साथ ही उन्होंने सबसे पहले 1876 में ’स्वराज्य’ का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया।

स्वामी दयानन्द के विचारों से प्रभावित महापुरुषों में मदनलाल ढींगरा, राम प्रसाद ’बिस्मिल’, लाला लाजपत राय आदि रहे। स्वामी दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में लाला हंसराज ने 1886 में लाहौर में ’दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज’ की स्थापना की तथा स्वामी श्रद्धानन्द ने 1901 में हरिद्वार के निकट कांगड़ी में गुरुकुल की स्थापना की।

महर्षि दयानन्द सरस्वती ने बाल विवाह, सती प्रथा और वर्ण भेद का जहां विरोध किया वहीं विधवा पुनर्विवाह के लिए अपना मत दिया और लोगों को इस ओर जागरूक किया। इसके अलावा उन्होंने नारी शिक्षा एवं समानता को बढ़ावा देने का काम किया। उनका निधन 30 अक्टूबर 1883 को हुआ। इस तरह अपने 59 वर्ष के जीवन में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने राष्ट्र में व्याप्त बुराईयों के खिलाफ लोगों को जगाया और अपने वैदिक ज्ञान का प्रकाश देश में फैलाया।

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