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श्रापित ‘चौपदी प्रथा’ से मुक्त हुई नेपाली महिलाये , नहीं मानने पर होगी जेल

काठमांडू, 10 अगस्त : नेपाल की संसद क़ानून पारित कर महावारी के दौरान हिन्दू महिलाओं को घर से बाहर रखने की प्राचीन परंपरा चौपदी प्रथा को बंद कर दिया है। यह जानकारी गुरुवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।

नए क़ानून के तहत महिलाओं को माहवारी के दौरान घर से बाहर रहने के लिए मजबूर करने पर तीन महीने की सज़ा या तीन हज़ार नेपाली रुपये तक का ज़ुर्माना हो सकता है।

विदित हो कि नेपाल के कई इलाक़ों में माहवारी के दौरान महिलाओं को अपवित्र माना जाता है। देश के कई दूरस्थ इलाक़ों में माहवारी के दौरान महिलाओं को घर के बाहर बनी झोपड़ी या कोठरी में रहने के लिए मजबूर भी किया जाता है। इसे चौपदी प्रथा कहते हैं।

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चौपदी प्रथा के तहत माहवारी से गुज़र रही महिलाओं के साथ अछूतों की तरह बर्ताव किया जाता है और उन्हें घर के बाहर रहना पड़ता है। पिछले महीने घर के बाहर बनी झोपड़ी में सो रही एक किशोरी की सांप के काटने से मौत हो गई थी। इससे पहले साल 2016 में भी चौपदी प्रथा का पालन करते हुए दो किशोरियों की मौत हुई थी।इनमें से एक ने ठंड बचने के लिए आग जलाई थी जिसके धुएं से दम घुटकर उसकी मौत हो गई थी, जबकि दूसरी महिला की मौत की वजह पता नहीं चल सकी थी।

इस परंपरा पर दस साल पहले ही देश के सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी, लेकिन बावजूद इसके कई इलाक़ों, विशेषकर पश्चिमी नेपाल के कई गांवों में यह अब भी जारी है। चौपदी प्रथा के जारी रहने की एक वजह ये भी थी कि ऐसा करने वालों को दंडित करने के लिए कोई क़ानून नहीं था। हालांकि नए क़ानून को लागू होने में भी एक साल तक का समय लग सकता है।

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