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संबित पात्रा को राहत, नियुक्ति में हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट का इनकार

नई दिल्ली, 06 नवम्बर (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को ऑयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन लिमिटेड ( ओएनजीसी ) का स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने के खिलाफ दायर याचिका पर कोई भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने पिछले 2 नबंबर को इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने ये फैसला सुनाया। याचिका एक एनजीओ एनर्जी वाचडाग ने दायर की थी। 

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा था कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा था कि याचिका में ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि नियुक्ति में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

शशि शंकर की नियुक्ति पर संजय जैन ने कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है और उनकी नियुक्ति में कोई अड़चन नहीं है। सुनवाई के दौरान एएसजी संजय जैन ने कहा था कि संबित एक क्वालिफायड सर्जन हैं। जिसका लाभ ओएनजीसी के कर्मचारियों को मिल सकता है| याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील जयंत भूषण ने कहा था कि स्वतंत्र निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए उद्योग, व्यापार, कृषि या प्रबंधन के क्षेत्र की मशहूर हस्ती होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संबित पात्रा का नाम कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 150 की पूर्ति के लिए ओएनजीसी के डाटा बैंक में भी नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति चेक एंड बैलेंस के लिए होती है। क्या संबित पात्रा ऐसा कर सकेंगे।

याचिका में कहा गया था कि संबित पात्रा भाजपा के सक्रिय सदस्य हैं। वह ओएनजीसी में स्वतंत्र निदेशक नहीं बनाए जा सकते। यह नियमों के खिलाफ है। याचिका में ओएनजीसी द्वारा संबित पात्रा और शंकर के साक्षात्कार में मिलें अंकों को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी।

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