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सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में सैलानी उठा रहे पातालकोट महोत्सव का लुत्फ

छिन्दवाड़ा, 28 दिसम्बर (हि.स.)। सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में स्थित पातालकोट का प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। बता दें कि यहां पांच दिवसीय पातालकोट महोत्सव चल रहा है। गुरुवार को महोत्सव के चौथे दिन सुबह से यहां हजारों की संख्या में सैलानी पहुंचे हैं और विभिन्न गतिविधियों का लुत्फ उठा रहे हैं। 

उल्लेखनीय है कि पातालकोट की ख्याति देश-विदेश में है। पातालकोट भूतल से लगभग 1200 से 1500 फिट की गहराई पर स्थित है, जिसकी विहंगमता का अहसास उंचाई से देखकर लगाया जा सकता है। इस क्षेत्र में 12 गांव स्थित है जिसमें आदिम जनजाति भारिया निवास करते है। 79 वर्ग किलोमीटर में फैला यह क्षेत्र लघु वनोपज तथा दुर्लभ जडी-बूटियों से युक्त है। क्षेत्र में विशेषकर तितलियां व गिद्ध पक्षी उड़ते हुये दिखाई देते हैं। कई छोटे-बड़े जलप्रपात दूधी नदी की जल राशि को समृद्ध करते हैं, किंतु यह अनुपम क्षेत्र पर्यटकों की पहुंच से बाहर ही था, जिसे पर्यटन की दृष्टि से पर्यटकों के लिये सुलभ व सहज बनाया गया है। 

पातालकोट क्षेत्र में पर्यटन के विकास एवं संवर्धन के लिये वर्ष 2015 में छिन्दवाडा टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल का गठन किया गया और काउंसिल के द्वारा इसी वर्ष से लगातार रातेड़ बेस कैम्प में पातालकोट महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसमें वन एवं पर्यावरण के महत्व एवं संरक्षण और पर्यटन द्वारा भारिया जनजाति के लिये रोजगार के अवसर, साहसिक खेलों का प्रशिक्षण, साहसिक कार्य करने की क्षमता का विकास और जनजातियों की संस्कृति के महत्व से परिचित कराना है। यह 5 दिवसीय महोत्सव 25 से 29 दिसंबर तक रहेगा और इस दौरान प्रतिदिन हजारों की तादात में पर्यटक यहा पहुंचकर प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य से परिचित हो रहे हैं। 

जिला प्रशासन द्वारा इस महोत्सव में हॉट एयर बैलून, पैरासेलिंग, पैरामोटर, एटीबी बाईक, आर्चरी, एयर गन शूटिंग, बुल राईड, पेंट बाल शूटिंग, बंघी रन, रिवर्स बंजी 45 फिट, जिप लाइन, बर्मा ब्रिज, ग्राउंड जोरबिंग, कमांडो नेट, रेप्लिंग, टेम्पोलिन आदि साहसिक खेलो के आकर्षण के साथ ही कबड्डी, वालीबॉल, फुटबाल, रस्साकशी, कुर्सी दौड़, बोरा दौड़, सायकिल टायर दौड़, धीमी सायकिल दौड़ आदि स्थानीय खेलों को रखा गया है जो आकर्षण के केन्द्र हैं। स्थानीय परिवेश में मेले का आयोजन किया गया है, जिसमें हस्तशिल्प और हस्तकला के स्थानीय उत्पादों, वनोत्पादों, वनौषधियों के स्टॉल और विभागीय प्रदर्शनी लगाई गई है। पर्यटकों के ठहरने के लिये आकर्षक टेंटों की व्यवस्था के साथ ही पातालकोट की रसोई और स्थानीय फूड की व्यवस्था की गई है। 

इस महोत्सव में प्रतिदिन शाम के समय आदिवासी लोक कलाओ नृत्य, संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि की प्रस्तुति से जहां पर्यटक अभिभूत है, वहीं स्थानीय लोगों को आजीविका के साधन उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक गतिविधियों में गति आई है। यह जिले की सफलता है कि टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल द्वारा मेले का आयोजन कर क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के साथ ही स्थानीय जनजाति संस्कृति व पर्यटन से अवगत कराया जा रहा है।

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