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सरकार के जवाब से नाखुश हैं पटना नाव हादसे के याचिकाकर्ता, फिर डालेंगे PIL

 पटना, सनाउल हक़ चंचल-

पटना नाव हादसा मामले में आज पटना हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. बता दें कि मशहूर PIL स्पेशलिस्ट मणि भूषण प्रताप सेंगर द्वारा इस मामले में डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में कोर्ट ने सरकार से नाव हादसे पर रिपोर्ट मांगी थी. कोर्ट ने सरकार से इस हादसे में हुई कार्रवाई और आगे ऐसा हादसा न हो इस पर रिपोर्ट तलब किया था.

आज इस मामले पर राज्य सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी अनिरुद्ध कुमार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. हलफनामे में कहा गया कि 2011 में बंगाल थ्योरीज एक्ट 1885 के तहत सुरक्षित नाव परिचालन कानून बनाया गया था. इसके अलावा 13 जुलाई 2017 को परिवहन विभाग ने सभी जिले के डीएम और एसपी को  सभी बोट का रजिस्ट्रेशन कराने को कहा था. साथ ही यह भी  निर्देश दिया गया कि किसी भी आयोजन के लिए  निबंधित बोट का ही इस्तेमाल किया जाए. इसके अतिरिक्त किसी अन्य बोट का इस्तेमाल नहीं हो.

बावजूद इन सब कानून के हाल ही में छपरा में हुए नाव हादसे में  16 लोगों के डूबने से हुई मौत और हाल ही के दिनों में अन्य नाव हादसों ने  सरकार  द्वारा उठाये गए रोकथाम के कदम को सवालों के घेरे में ला दिया है. इस मामले में जनहित याचिका डालने वाले मणि भूषण प्रताप सेंगर ने कहा है कि वे  सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. वे अदालत में एक बार फिर फ्रेश याचिका डालेंगे. और सरकार की ओर से की गई कार्रवाई पर सवाल खड़ा करेंगे.

गौरतलब है कि मकर संक्रांति के मौके पर बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा 14-17 जनवरी तक गंगा के दियारा में पतंगोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में आकर्षण का केन्द्र एक धागे में सौ पतंग को उडाया जाना था. पतंगोत्सव में शामिल होने के लिए बिहार के आम लोगों को भी आमंत्रित किया गया था. राजधानी से गंगा पार कार्यक्रम स्थल जाने के लिए आमजनों के लिए मुफ्त क्रूज (जहाज) सेवा की व्यवस्था की गयी थी. सुबह में काफी सारे लोगों को जहाज के द्वारा गंगा पार पहुंचाया भी गया. दोपहर दो बजे विभिन्न मिडिया चैनलों में यह खबर प्रसारित हुई की राजधानी में जहाज के प्रस्थान स्थल पर बांस का जो प्लेटफार्म बनाया गया था वह टूट गया है.

खबर प्रसारित होने के बाद आमजनों को जहाज से वापस लाने की योजना को रद्द कर दिया गया.  शाम के समय कार्यक्रम समाप्त होने के बाद सरकार द्वार वापसी का कोई इंतजाम नहीं रहने के मद्देनजर आमजन नाव से वापस लौटने लगे. वापस लौटने की आपाधापी में नाव पर क्षमता से अधिक लोगों के सवार हो जाने के कारण बीच नदी में नाव डूब गयी और करीब दो दर्जन लोग डूब गये.

याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया की आपदा विभाग द्वारा जो नाव कि खरीदारी की गयी थी उसे कार्यक्रम स्थल के पास मौजूद रहना चाहिए था.  परंतु आपदा विभाग की बोट का दुर्घटना स्थल पर कहीं अता-पता नहीं था. पिछली सुनवाई में अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि ऐसी दुर्घटनाओं से बचाव के संबंध में बनायी गयी योजना एवं नियम के बारे में भी विस्तृत रूप से जानकारी दें.  अदालत ने यह भी कहा था की नियम के अनुपालन में लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.

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