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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा , शादी के बाद अवैध संबंध बनाने पर सिर्फ पुरुष ही दोषी क्यों ?

पटना, सनाउल हक़ चंचल

पटना : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. दरअसल शादी के बाद अवैध संबंध से जुड़े कानूनी प्रावधान को गैर संवैधानिक करार दिए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी पर सुनवाई हुई है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है. याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा-497 के तहत जो कानूनी प्रावधान है वह पुरुषों के साथ भेदभाव वाला है.

कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी और शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से संबंधित बनाता है तो ऐसे संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ उस महिला का पति व्यभिचार का केस दर्ज करा सकता है, लेकिन संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ मामला दर्ज करने का प्रावधान नहीं है. जो भेदभाव वाला है और इस प्रावधान को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए. 

याचिकाकर्ता के वकील के राज की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के गृह मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि पहली नजर में धारा-497 संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करती है. अगर दोनों आपसी रजामंदी से संबंध बनाते हैं तो महिला को उस दायित्व से कैसे छूट दी जा सकती है. याचिका में कहा गया है कि ये धारा पुरुष के खिलाफ भेदभाव वाला है.

याचिका में आगे कहा गया है कि ये संविधान की धारा-14 (समानता), 15 और 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि एक तरह से ये महिला के खिलाफ भी कानून है, क्योंकि महिला को इस मामले में पति की प्रॉपर्टी जैसा माना गया है. अगर पति की सहमति हो तो फिर मामला नहीं बनता. याचिका में कहा गया है कि ये प्रावधान भेदभाव वाला है और जेंडर जस्टिस के खिलाफ है. इससे समानता के अधिकार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. याचिका में कहा गया है कि इस आईपीसी के प्रावधान को अवैध, मनमाना और गैर संवैधानिक घोषित किया जाए. महिलाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, कहा – शादी से नहीं बदलता

हाईकोर्ट की वकील रेखा अग्रवाल बताती हैं कि इस कानून में कई भेदभाव दिखते हैं. अगर किसी महिला का पति किसी और महिला के साथ संबंध बनाता है और उक्त दूसरी महिला की सहमति है तो फिर ऐसे मामले में महिला अपने पति या फिर उक्त दूसरी महिला के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं करा सकती. जिस महिला के पति ने व्यभिचार का अपराध किया है उसके खिलाफ महिला सिर्फ उस आधार पर तलाक ले सकती है, लेकिन महिला खुद शिकायती बन आपराधिक केस नहीं दर्ज करा सकती.

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