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स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने पर धर्म बदलेगा या नहीं तय करेगी संविधान पीठ

नई दिल्ली, 09 अक्टूबर (हि.स.)। क्या एक पारसी महिला का धर्म स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किसी हिन्दू से शादी करने के बाद बदल जाएगा। इस सवाल पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान बेंच (पीठ) को रेफर किया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुजरात के गुलरुख एम गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

याचिका में गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला किसी दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करती है तो ऐसा माना जाएगा कि उसने अपने पति का धर्म अपना लिया है और वह अपने पुराने धर्म को मानने का अधिकार खो देगी।

गुलरुख एक पारसी महिला है जिसने अपनी शादी 1991 में एक हिंदू पुरुष से की। शादी के बाद भी वह पारसी धर्म का पालन करती रही। गुलरुख ने एक दूसरी पारसी महिला दिलबार वाल्वी का उदाहरण दिया जिसने एक हिंदू से शादी की। जब दिलबार की माता का देहांत हुआ तो उसके अंतिम संस्कार में वलसाड पारसी अंजुमन ट्रस्ट ने शामिल नहीं होने दिया। गुलरुख ने ये आशंका जताई है कि उसके साथ भी ऐसा ही हो सकता है। 

गुलरुख ने गुजरात हाईकोर्ट से इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अगर कोई महिला दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करती है तो उसे अपने पति के धर्म को मानना होगा और अपने धर्म को मानने का अधिकार खो देगी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

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