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69वां सेना दिवस पर बोले सेना प्रमुख हम सीमा पर शांति चाहते हैं लेकिन,उकसावे पर देंगे मुंहतोड़ जवाब.

नई दिल्ली, 15 जनवरी=  देश रविवार को 69वां सेना दिवस मना रहा है। आज ही के दिन 1949 में पहले भारतीय कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा ने भारतीय सेना की कमान संभाली थी। इस अवसर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर शांति चाहते हैं लेकिन हम किसी भी सीज़फायर उल्लंघन या उत्तेजित करने वाली हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने से पीछे नहीं हटेंगे।

आने वाली चुनौती से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन सीमा पर भारत शांति चाहता है। सेना चीन की सीमा पर कारगर कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मीज़र्स अपना रही है। हम उन कदमों को उठा रहे हैं, जिससे एलएसी पर पैदा होने वाली हर स्थिति का समाधान निकल सके।

इस अवसर पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने हाल ही के घटनाक्रमों और सैनिकों की शिकायतों के मुद्दे पर कहा कि सेना में शिकायत करने के लिए उचित चैनल हैं। अगर जवान कार्रवाई से सहमत नहीं हैं तो वह सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने साथ ही यह भी चेताया कि सैनिक भी उसके कार्य के लिए दोषी पाए जा सकते हैं और सजा के हकदार भी हो सकते हैं।

इस मौके पर दिल्ली के करियप्पा परेड ग्राउंड में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने अमर जवान ज्योति पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद दिल्ली कैंट में परेड की सलामी ली और जवानों की विधवाओं को सेना मेडल और पुरस्कारों से सम्मानित किया।
सियाचिन ग्लेशियर में टनों बर्फ के नीचे से जिंदा बचाये गए ब्रेवहार्ट लांस नायक हनुमंथप्पा कोप्पाड को, जिनकी बाद में मृत्यु हो गई थी को आज सेना पदक से सम्मानित किया गया । लांस नायक हनुमंथप्पा की पत्नी महादेवी ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत से यह पदक प्राप्त किया।

उनके साथ पंद्रह अन्य जांबाजों को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया । इनके नाम हैं-मेजर कृष्णा कांत बाजपेयी, कर्नल तरुण पाठक, लेफ्टिनेंट कर्नल राहुल प्रताप सिंह, मेजर दोरजी, कप्तान विकास पंघाल, कप्तान सुशांत शर्मा, लेफ्टिनेंट सतीश कुमार मिश्रा, राइफल आदमी राजू थापा, राइफल आदमी राहुल सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल राजेश गुलाटी (मरणोपरांत), नायब सूबेदार राम सिंह (मरणोपरांत), लांस नायक गोविंद सिंह मेहता (मरणोपरांत), लांस नायक कुलवंत सिंह (मरणोपरांत)।

इसके अलावा 14 भारतीय सेना की इकाइयों को उनके प्रदर्शन के लिए यूनिट प्रशस्ति पत्र दिया गया। इनके नाम हैं- 4 पैरा (एस एफ), 9 पैरा (एस एफ), 5 राजपूत, 1 लद्दाख स्काउट्स, 18 आरआर (राज राइफल्स), 28 आरआर (जे ए राइफल्स), 40 आरआर (डोगरा), 42 आरआर (असम), 44 आरआर (राजपूत), 3 राजपूत, 14 सिख लाइट, 159 एफडी रेजीमेंट, 201 इंजी रेजीमेंट, 43 असम राइफल्स।
इस दौरान सेना ने जंग का एक नमूना पेश कर अपने कौशल और रणनीति का प्रदर्शन किया जिसमें ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलें, जैविक और रासायनिक हथियारों से निपटने वाला सीबीआराएन वाहन और टी-90 टैंक आदि खास आकर्षण रहे।

उल्लेखनीय है कि 1949 में भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश नियंत्रण से बाहर आ गई थी और फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा आज़ाद भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। उनसे पहले ब्रिटिश मूल के फ़्रॉन्सिस बूचर बतौर सेना प्रमुख थे।

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