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भाजपा से छीनी झाबुआ सीट, कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया विजयी

झाबुआ । मध्यप्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार भानु भूरिया को 27 हजार से अधिक मतों शिकस्त दे दी है। इसके साथ ही कांग्रेस ने भाजपा से यह सीट छीनकर पुन: यहां अपना परचम लहरा दिया है। इस आदिवासी बहुल सीट पर मुख्यमंत्री कमलनाथ का जादू चला और अपनी परम्परागत सीट पर उसने वापसी की, जबकि भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।

झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के लिए गत 21 अक्टूबर को मतदान हुआ था। गुरुवार को स्थानीय पॉलिटेक्निक कालेज में 26 राउंड में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना हुई, जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया ने भाजपा के भानू भूरिया को 27 हजार 804 वोटों से हराया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रहे कांतिलाल भूरिया ने मतगणना के पहले राउंड से जो बढ़त बना ली थी, जो अंत में 27 हजार को पार कर गई। उन्हें 95 हजार 907 वोट मिले, जबकि भाजपा उम्मीदवार भानू भूरिया को 68 हजार 228 वोटों से संतोष करना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि झाबुआ से भाजपा विधायक गुमान डामोर ने पार्टी की तरफ से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीतकर सांसद बनने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते यहां उपचुनाव हुए। गत 21 को हुई वोटिंग में मतदान का प्रतिशत 62.01 फीसदी रहा था। यहां चुनावी मैदान में पांच उम्मीदवार कांग्रेस से कांतिलाल भूरिया, भाजपा से भानु भूरिया के अलावा तीन निर्दलीय भाजपा के बागी कल्याणसिंह डामोर, नीलेश डामोर और रामेश्वर सिंगाड़ शामिल थे, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच ही था।

कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार हैं, लेकिन झाबुआ विधानसभा सीट पर वे पहली बार विधायक बने। उन्होंने 70 के दशक में झाबुआ कॉलेज में छात्र संघ चुनाव जीता था। इसके बाद 1977 में थांदला विधानसभा से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया, लेकिन पहले चुनाव में ही हार गए। फिर, 1980 में थांदला से जीतकर विधायक बन गए। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने उन्हें संसदीय सचिव बना दिया। वे थांदला से 1998 तक विधायक रहे। इस बीच दो बार प्रदेश में मंत्री बने। इसके बाद 1998 में रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने। मनमोहन सिंह सरकार में दो बार मंत्री रहे।

इसके बाद 1998, 1999, 2004, 2009 के लोकसभा का चुनाव जीते, लेकिन 2014 में वे हार गए। इसी सीट पर 2015 में लोकसभा का उपचुनाव हुआ, जिसमें वे जीतकर पुन: सांसद बने, लेकिन इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें झाबुआ सीट से भाजपा विधायक गुमान सिंह डामोर ने करारी शिकस्त दी थी। डामोर के सांसद बनने के बाज झाबुआ सीट पर पुन: उपचुनाव हुआ, जिसमें कांतिलाल भूरिया को कांग्रेस ने मैदान में उतारा और उन्होंने 29 हजार वोटों से जीत दर्ज कर कांग्रेस का परचम पुन: लहरा दिया।

सीएम कमलनाथ से लेकर सरकार के कई मंत्री उनके प्रचार के लिए सडक़ पर उतरे। उपचुनाव की मॉनीटरिंग मुख्यमंत्री कमलनाथ स्वयं कर रहे थे। बीते चार माह में वे पांच बार झाबुआ आए। अपने भाषणों में उन्होंने छिंदवाड़ा मॉडल की तर्ज पर झाबुआ के विकास की बात कही और उनकी रणनीति कामयाब भी हुई। वहीं, भाजपा की ओर से स्टार प्रचारक के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पार्टी ने मैदान में उतारा था। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में वे करीब चार दिन विधानसभा क्षेत्र में रहे। उन्होंने छोटी-छोटी सभाएं लेने के साथ ही खाटला बैठक तक की। रोड़ शो भी किए, लेकिन वे भाजपा की यहां वापसी नहीं करा पाए। एजेंसी हिस

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