Home Sliderखबरेविशेष खबर

कोरोना काल में डेंगू के खतरे

– योगेश कुमार सोनी

कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों से पहले ही दुनिया परेशान है और अब मानसून में जन्म लेने वाले मच्छर से होने वाली बीमारी डेंगू को लेकर वैज्ञानिकों ने गंभीर चिंता जताई है। इस मामले के वैज्ञानिकों ने कहा है कि इसबार अन्य बार की अपेक्षा ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। वैज्ञानिकों यह कहते हुए चेताया कि डेंगू के प्रकोप से कोरोना संकट बढ़ने की आशंका है और यदि ऐसा हुआ तो स्थिति को संभालना बेहद मुश्किल हो जाएगा। दरअसल कोरोना व डेंगू के अधिकतर लक्षण एक जैसे हैं, जिसमें मुख्य है कि दोनों से संक्रमिक होने पर सिर व शरीर में दर्द होता है और तेज बुखार आता है। डेंगू से ग्रस्त होने वाले मरीजों को कोरोना अपनी चपेट में आसानी से ले सकता है। यदि दोनों बीमारी से ग्रसित होने वाली मरीजों की संख्या बढ़ी तो मौत के आंकड़ों में बड़े स्तर पर बढ़ोतरी होगी और स्थिति भयावह हो सकती है। अबतक आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में कोरोना के करीब आठ लाख केस आ चुके हैं और तेईस हजार लोगों की मौत भी हो चुकी है। आंकड़ों के अनुसार डेंगू की वजह से हर वर्ष करीब डेढ़ लाख मामले आते हैं। बीते वर्ष 2019 में एक लाख पैंतीस हजार से भी अधिक केस आए थे जिसमें 132 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। डेंगू से रिकवरी की प्रतिशत बहुत बेहतर है लेकिन कोरोना काल में डेंगू के मरीज बढ़ते हैं तो डेंगू से ग्रस्त मरीजों को कोरोना होने की आशंका बहुत अधिक है, जिससे अभी से ही शासन-प्रशासन के हाथ-पांव फूलने शुरू हो चुके हैं।

दरअसल मामला गंभीर इसलिए भी हो जाता है कि दोनों ही वायरस की वैक्सीन नहीं बनी है। अन्य बीमारियों की अपेक्षा डेंगू में वायरस बहुत प्रभावशाली होता है। डेंगू मादा एडीज इजिप्ची नाम के मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर जब काटता है तो मनुष्य का खून चूसता है और वायरस शरीर में छोड़ देता है और उसके बाद किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो फिर दूसरे को और अधिक तेजी से यह वायरस प्रभावित करता है, इसी तरह इसकी चेन बनती चली जाती है। डॉक्टरों के अनुसार डेंगू को तीन तरह से वर्गीकृत किया है जिसमें पहली स्थिति में साधारण बुखार होता है, दूसरी में हैमरेजिक बुखार व तीसरी स्थिति में जो सबसे खतरनाक मानी जाती है वह है शॉक सिंड्रोम। तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और हल्का गले में दर्द होने पर आप क्षेत्रीय डॉक्टरों से उपचार करा सकते हैं लेकिन जब शरीर के किसी भी अंग से खून आना और बार-बार होश खो देने पर तुरंत स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए व अस्पताल में एडमिट होना अनिवार्य समझा जाता है।

डेंगू, बरसात के मौसम में पनपना शुरू होता है और जुलाई से अक्टूबर तक सबसे ज्यादा प्रभावित करता है क्योंकि इस मौसम सभी तरह के मच्छरों के पनपने का समय होता है। डेंगू मच्छर कम ऊंचाई तक उड़ पाता और खासतौर पर सुबह के समय ही काटता है। इसे ग्रस्त होने के बाद बचने के तमाम उपाय हैं लेकिन यदि यह कोरोना काल में होता है तो हालात नाजुक हो जाएंगे। आपकी जरा-सी मेहनत आपको इस बड़े संकट में फंसने से पहले ही निकाल सकती है। वैसे तो हर बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय सफाई है लेकिन आज के दौर में थोड़ा-सा और अतिरिक्त कर लिया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। अपने घर को स्वच्छ रखना तो स्वभाविक है लेकिन साथ में अपने आसपास भी गंदगी व पानी न जमा होने दें। जहां पानी जमा रहता है जैसे कि कूलर व अन्य इस प्रकार की कोई भी जगह तो वहां आप एक ढक्कन या आवश्यकतानुसार मिट्टी का तेल जरूर डाल दें। जैसे हम बदलते दौर के फैशन में अपने कपड़ों, जूतों व अन्य इस प्रकार की चीजों के साथ अपडेट व अपग्रेड कर लेते हैं वैसे ही बढ़ती बीमारियों से लड़ने के लिए इस तर्ज पर चलने की जरूरत है।

हमारे देश में हर किसी को यह लगता है कि यह घटना हमारे साथ तो हो ही नहीं सकती लेकिन जब ऐसा सोचने वाला चपेट में आता है तब पछतावे के अलावा वह कुछ नहीं कर पाता। कोरोना से आए संकट से हमें सबक व सीख लेनी चाहिए। कोरोना को आए चार महीने करीब हो चुके हैं और इससे बचने के लिए कितनी सतर्कता बरत रहे हैं। यदि हम बाकी बीमारियों से बचने के लिए इस तरह की सुरक्षा अपना लेंगे तो निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी। हमें अपने आप को बचाने के लिए तैयार रहना चाहिए और यह डेंगू से लड़ने व बचने का बिल्कुल सही समय है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Tags

Related Articles

Back to top button
Close