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दिल्ली में आप की जीत पर केजरीवाल के पैतृक गांव में खुशी

भिवानी । हरियाणा का भिवानी जिला राजनीति का गढ़ रहा है। इस जिले में जन्मे चार लोग अब तक मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इनमें चौधरी बंसीलाल, मास्टर हुक्म सिंह और बीडी गुप्ता हरियाणा के सीएम रह चुके हैं और केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं। सिवानी क्षेत्र के खेङा गांव में जन्मे अरविंद केजरीवाल आज देश की राजनीति के सितारे बन चुके हैं। उनकी इस उपलब्धि पर उनके गांव के लोग गर्व करते हैं। मंगलवार को जैसे ही चुनाव परिणाम टीवी पर आने शुरू हुए तो केजरीवाल के परिजन टीवी पर निरंतर अपडेट होते परिणाम देखते रहे तथा उन्होंने आम आदमी पार्टी की जीत के लिए खुशी जताई।

हरियाणा राज्य की राजनीतिक राजधानी कहे जाने वाले भिवानी जिले में सिवानी क्षेत्र के छोटे से गांव खेङा में जन्मे केजरीवाल आज राजनीति के शिखर पर हैं। हालांकि जहां उनका जन्म हुआ था, वह पुश्तैनी मकान आज खंडहर हो चुका है। केजरीवाल का ही नहीं बल्कि उनके चाचा, ताऊ के मकान भी खंडहर हो चुके हैं। केजरीवाल के जन्म के करीब दो माह बाद ही उनके परिजन गांव से सिवानी चले गए थे।

ग्रामीण महेन्द्र पंडित, छत्तर सिंह, वजीर मिस्त्री ने बताया कि केजरीवाल के परिजन कई साल पहले गांव से सिवानी चले गए थे। उन्होंने अपने मकान, धर्मशाला के लिए और जमीन गौचर भूमि के लिए दान दे दी थी। महेन्द्र पंडित बताते हैं कि केजरीवाल पढ़ाई में हमेशा होशियार रहे और वे अपने दादा के पदचिन्हों पर चले, जिन्होंने हरियाणा के सीएम रहे चौधरी बंसीलाल के साथ विरोध की राजनीति की थी। गांव के लोग बताते हैं कि जब भी वो केजरीवाल के पास जाते हैं तो वे बहुत प्यार से मिलते हैं और बङी इज्जत करते हैं। केजरीवाल अपने गांव के लोगों को देख कर बहुत खुश होते हैं। महेन्द्र पंडित ने बताया कि सीएम बनने के बाद केजरीवाल खेङा गांव में आए हैं। उन्होंने केजरीवाल और उनके पिता के साथ मुलाकात की फोटो दिखाते हुए कहा कि पूरा गांव चाहता है कि केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के सीएम बने। गांव के सभी लोग मानते हैं कि केजरीवाल ने दिल्ली में काम किया है और काम की बदौलत वो सीएम बनेंगे।

ग्रामीण बताते हैं कि केजरीवाल के परिजन पहले सिवानी में कपडे की दुकान चलाते थे। गांव के सभी लोग केजरीवाल के साथ उनके परिजनों की बहुत इज्जत करते हैं। उनके चले जाने के बाद आज उनके घर खंडहर हो चुके हैं। ये मकान कभी भी गिर सकते हैं। घर के अंदर झाङ-झंखाङ उगे हुए हैं।

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