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आयकर विभाग ने टीडीएस और टीसीएस स्‍टेटमेंट की तारीख 31 जुलाई तक बढ़ाई

-टीडीएस और टीसीएस प्रमाणपत्र जारी करने की समय-सीमा 15 अगस्‍त तक बढ़ी

नई दिल्‍ली। आयकर विभाग ने कोविड-19 की महामारी को देखते आयकरदाताओं को एक और राहत दी है। विभाग ने वित्‍त वर्ष 2019-20 के लिए टीडीएस और टीसीएस स्‍टेटमेंट को फाइनल करने की समय-सीमा 31 जुलाई तक बढ़ा दी है। वहीं, विभाग ने वित्‍त वित्त वर्ष 2019-20 के लिए टीडीएस और टीसीएस प्रमाण पत्र जारी करने
समय-सीमा 15 अगस्त, 2020 तक बढ़ा दिया है। आयकर विभाग ने शुक्रवार को ट्वीट करके ये जानकारी दी है।

गौरतलब है कि आयकर विभाग ने विभाग ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कर बचत निवेश और भुगतान की समय-सीमा को इससे एक दिन पहले ही 31 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी है। पहले ये समय-सीमा 30 जून, 2020 तक था, जिसको आयकर विभाग ने बढ़ाकर 31 जुलाई किया है। दरअसल टीडीएस यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स का अर्थ है किसी व्यक्ति की आय का स्रोत क्या है, उस पर से जो टैक्स कलेक्ट किया जाता है, उसे ही टीडीएस कहा जाता है।

टीडीएस-टीसीएस में क्‍या होता है अंतर

टीडीएस और टीसीएस टैक्स वसूल करने के दो तरीके हैं। टीडीएस का अर्थ है किसी व्यक्ति की आय का स्रोत क्या है, उस पर से जो टैक्स कलेक्ट किया जाता है। वहीं, टीसीएस का मतलब स्रोत पर कर संग्रह होता है। टीसीएस वह टैक्‍स है, जिसे बेचने वाले खरीदार से वसूलते हैं। कुछ खास तरह की वस्‍तुओं के विक्रेता ही इसे टीसीएस लेते हैं। इन वस्‍तुओं में मिनरल, टिंबर वुड, स्‍क्रैप, तेंदु पत्‍ते इत्‍यादि आते हैं।

सैलरी और नए आयकर स्लैब पर टीडीएस

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 192 कहती है कि प्रत्येक नियोक्ता को कर्मचारी को वेतन का भुगतान करते वक्‍त अनिवार्य रूप से कर में कटौती करनी होती है। कर की ये दर लागू आयकर स्लैब के अनुरूप होनी चाहिए। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2020-2021 के लिए कर्मचारियों के लिए उपलब्ध दोहरे आयकर स्लैब के साथ इस पर भ्रम था कि वेतन पर टैक्स कैसे काटा जाना चाहिए। (एजेंसी, हि.स.)

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