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आखिर हम कब समझेंगे की पुलिसवाले भी तो इंसान है ….

sanjay singh thakur
संजय सिंह ठाकुर

केशव भूमि नेटवर्क :=आखिर हमारी आप की तरह पुलिस वाले भी एक इंसान है यह हम कब समझेगे . अक्सर देखा गया जिसको ABCD नहीं पता वह भी पुलिस पर तरह – तरह का आरोप लगाकर टिका टिप्पणी और हमला करते राहता है .

    पुलिस यह एक ऐसा विभाग है जिस पर आम जनता की सुरक्षा, कानून व्यवस्था को बनाये रखना और जिन्दगी को सुचारू रूप से चलाने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। यदि यह विभाग नही होगा तो जरा सोचिए कि क्या हम सुरक्षित रह पायेंगें, क्या कानून व्यवस्था नजर आयेगी या नही। फिर आखिर क्यों हम जब भी इन पुलिस वालों को देखते तो हमें उनमें बुराई ही नजर आती है। उनके अन्दर छिपी अच्छाई हमें क्यों नही दिखती है। फिलहाल हम आप को आज वर्दी के पीछे छिपे उस दर्द को बताते है जो वे किसी आम जनता से नही बांट सकते है, और स्वयं उस दर्द भरी जिन्दगी जीते है।

      मालूम हो कि पुलिस विभाग के अलावा अन्य सरकारी महकमें  हो या फिर प्राईवेट सभी में छह दिन काम करने के बाद सातवें दिन अवकाश दिया जाता है। अब जरा सोचिये कि यदि सातवें दिन के मिलने वाले उस अवकाश को खत्म कर दिया जाये तो आपको कैसा लगेगा। जरा कभी आपने ये सोचा है कि जो अपने परिवार से दूर रहकर सातों दिन आपकी सुरक्षा में लगे रहते है। इसके बाद भी वह जब कहीं नजर आते है तो यह कहते हुये सुना जाता है कि यह पुलिस वाले भ्रष्ट होते, गुण्डें होते है इनमे  मानवता नही है। जब भी हम किसी बड़ी मुसीबत में होते हैं तो सबसे पहले पुलिस को ही याद करते है और फिर पुलिस आपकी सूचना पर तुरंत  बताये गये स्थान पर आपकी मदद के लिये पहुंच जाती है। इसके अलावा पथराव और गोलियां चल रही हों तब भी यह पुलिस वाले ही हमारी सुरक्षा के लिये एक ढाल बनकर खड़ा हो जाते है। जब आप अपने घरों में चैन की नींद सोते है तब यह पुलिस के जवान ही जाग कर हमारी सुरक्षा करते है। इसके बाद भी हम उन्हें  ही दोषी ठहराते है। एक सर्वे के अनुसार 75 फीसदी पुलिस के जवानों को अवकाश नही मिलता है और 90 फीसदी पुलिस जवानों को अवकाश के दिन भी यह कहकर बुला लिया जाता है कि महकमें में जवानों की कमी है। यह सब जानने के बाद भी पुलिस महकमें में काम करने वाले जवान, व अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से आपकी सुरक्षा में लगे रहते है, फिर चाहे वे किसी भी परेशानी या फिर तनाव में क्यों न हो।

लेकिन इसके वावजूद भी हम यह भूल जाते है की हम जो रात – दिन आजादी से कही भी घूम रहे है वह उन्ही पुलिस की देन है जिन्हें हम हमेशा बुरा भला कहते रहते है . पर पुलिस को कोसने से पहले हमें  ये बिलकुल भूल जाते हैं, की वो भी हमारी और आपकी तरह एक इंसान है. कभी कभी कुछ लोग अपना रुवाब जताने के लिए उन पर हमला तक कर देते है जिसके कारण कई पुलिस वालो को  अपनी जान गवानी पड़ी है , लेकिन यह सब करने व उनको कोसने से पहले हमें ये याद रखना चाहिए की क्या हम पाक -साफ हैं.क्या हमें हक़ है किसी को कोसने का उस पर इस प्रकार का हमला करने का  क्या कभी आपने सोचा है की क्यों एक अच्छा खासा आदमी पुलिस में जाते ही उपरोक्त श्रेणीओं में गिना जाने लगता है ,? आखिर कैसे वो भ्रष्टाचार का पर्याय बन जाता है ?,

आखिर हम आम जनता  की जान माल की सुरक्षा करने वाले को क्यों इतना बुरा भला कहते हैं ,जरा अपने आपको उस अवस्था में रख कर देखिये उसका कार्यक्षेत्र, उस पर पड़ने वाला दबाव और अन्य परिस्थितयां जब कोई त्यौहार आता है तब हम उस त्यौहार को मनाने में जुट जाते हमारे त्यौहार में कोई खलल न पड़े वह अपनी और अपने परिवार की सारी खुशिया छोड़कर हमारी हिफाजत में लग जाते है ताकि हम हमारे त्यौहार हँसी ख़ुशी माना सके . इन पुलिस के परिवार और बच्चो के बारे में किसी ने जानने की कोशिश की है की इनका परिवार बिना इनके कैसे त्यौहार मनाता है, अगर इनके परिवार या रिश्तेदारी में कोई शादी विवाह पड़ जाए यह कोई ऑफ हो जाए तो कितने बार यह उसमे सामिल नहीं हो पाते अगर उसमे सामिल होने का मौका मिलाता है तो वह भी चंद घंटो का जिसमे वह हर किसी से खुल कर मिल नहीं पाते .

पुलिस विभाग और दुसरे सरकारी ऑफिस  के लोगो के काम काज में क्या है फर्क ? .

मैं आपको एक सरकारी कर्मचारी और एक पुलिस वाले के बीच थोड़ी सी तुलना करके दिखता हूँ.. फिर आप खुद निर्णय लें की क्या ये पुलिस वाले वास्तव में गलत हैं क्या हम इनके साथ कोई न इंसाफी नहीं कर रहें हैं .जब दुसरे सरकारी ऑफिसो सुबह 11 बजे जब सरकारी बाबु ऑफिस में प्रवेश करते है तो कुछ लोगो के  मुह में पान भरा रहता है, आते ही पास की दिवार पर पान कही भी थूक कर रुवाब के साथ चपरासी को चाय लाने का आर्डर देते है , अगर  पुलिस वाले ने कुछ चंद रूपये का रिश्वत ले लिया तो उसका डंका हम पुरेशहर और गाँव में वजाते है . लेकिन यह सरकारी बाबू लाखो रूपये रिश्वत में लेकर डकार मार जाते है तब हम लोग कुछ नहीं बोलते उल्टा हंसी ख़ुशी इन सरकारी बाबुओ की चापलूसी करते है . वही एक पुलिस करीब 40 से 50 घंटा लगातार अपनी डियूटी करता है लेकिन दुसरे विभाग के लोग 8 घंटे की ड्यूटी करते है वह भी सरकार और जनता पर एहसान करने जैसा ऊपर से मजा करने के लिए सरकारी छुट्टिया भी मिल जाती है . वही यह पुलिस वाले इन सरकारी छुट्टियों के लिए तरसे नजर आते है कभी कभी इन्हें ऐसी जगह ड्यूटी पर तैनात कर दिया जाता है जंहा इन्हें अन और जल से भेट भी नहीं होते ऊपर से कही कोई गड़बड़ ना हो जाए कही कोई असामाजिक लोग उपद्रव न करदे उसकी चिंता ऐसे कई समस्याए है जिससे यह पुलिस वाले रात दिन झुझते रहते है जिसके कारण यह काफी तनाव में रहते है और उसके कारण कभी -कभी उनकी भाषा में चिड चिड़ा पन आ जाता है .

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