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पिछले 93 साल से चल रहा हैं कावेरी जल विवाद.

कावेरी  नदी  का इतिहास : 
KBN 10 News = कावेरी कर्नाटक तथा उत्तरी तमिलनाडु में बहनेवाली एक सदानीरा नदी है। इसे दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है। यह पश्चिमी घाट के पर्वतब्रह्मगिरी से निकली है। इसकी लम्बाई प्रायः 800 किलोमीटर है। दक्षिण पूर्व में प्रवाहित होकर कावेरी नदी बंगाल की खाड़ी में मिली है। सिमसा,हिमावती,भवानी इसकी उपनदियाँ है। कावेरी नदी के किनारे बसा हुआ शहर तिरूचिरापल्ली हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। कावेरी नदी के डेल्टा पर अच्छी खेती होती है। इसके पानी को लेकर दोनो राज्यों में विवाद है।
और पिछले कई महीनो से चल रहा कावेरी विवाद कोई नया नहीं हैं।  इस विवाद का अपना एक अलग ही इतिहास हैं।  1924 में इन दोनों के बीच एक समझौता हुआ। लेकिन बाद में इस विवाद में केरल और पांडिचारी भी शामिल हो गए और यह विवाद और गंभीर हो गया।
 
भारत सरकार द्वारा 1972 में बनाई गई एक कमेटी की रिपोर्ट और विशेषज्ञों की सिफारिशों के बाद अगस्त 1976 में कावेरी जल विवाद के सभी चार दावेदारों के बीच एक समझौता हुआ। समझौते की घोषणा संसद में भी की गई। लेकिन समझौते का पालन नहीं हुआ और ये विवाद चलता रहा। 
 
तमिलनाडु उच्च न्यायालय ने न्यायाधिकरण गठित करने का निर्देश दिया.
इसके बाद जुलाई 1986 में तमिलनाडु ने जल विवाद अधिनियम 1956 के तहत इस मामले को सुलझाने के लिए आधिकारिक तौर पर केंद्र सरकार से एक न्यायाधिकरण के गठन किए जाने का अनुरोध किया। इस बीच तमिलनाडु के कुछ किसानों की याचिका की सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को इस मामले में न्यायाधिकरण गठित करने का निर्देश दिया।
 
तमिलनाडु आदेश को लागू करने के लिए जोर देने लगा.
1991 में न्यायाधिकरण ने एक अंतरिम आदेश पारित किया जिसमें कहा गया था कि कर्नाटक कावेरी जल का एक तय हिस्सा तमिलनाडु को देगा। हर महीने कितना पानी छोड़ा जाएगा, ये भी तय किया गया। हालांकि  इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ। इस बीच तमिलनाडु इस अंतरिम आदेश को लागू करने के लिए जोर देने लगा। आदेश को लागू करने के लिए एक याचिका भी तमिलनाडु उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई । इसके बाद यह मामला और भी जटिल होता गया।  

साल 2007 में ट्रिब्यूनल ने दिया अपना अंतिम फैसला.
साल 2007 में ट्रिब्यूनल ने अपने अंतिम फैसला देते हुए कहा कि तमिलनाडु को 419 टीएमसीएफटी पानी मिलना चाहिए, कोर्ट ने जो आदेश दिया है, ये उसका दोगुना है यही वजह है कि कर्नाटक इस आदेश से संतुष्ट नही है। 2007 के आर्डर से पहले तलिमनाडु ने 562 टीएमसीएफटी पानी की मांग की जोकि कावेरी बेसिन में मौजूद पानी का तीन चौथाई हिस्सा था। 
कर्नाटक ने 465 टीएमसीएफटी पानी की मांग की.
वहीं कर्नाटक ने 465 टीएमसीएफटी पानी की मांग की जोकि उपलब्ध पानी का दो तिहाई हिस्सा था। इस साल अगस्त में तमिलनाडु सरकार ने कहा कि कर्नाटक ने 50,0052 टीएमसीएफटी पानी कम छोड़ा है। वही कर्नाटक सरकार ने कहा कि वो कावेरी का और पानी तमिलनाडु को नहीं दे सकते क्योंकि कम बारिश की वजह से पानी का रिजर्व आधा है।

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