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अब सिर्फ करना नहीं है, वरन क्या करना है, ये भी निर्धारित करना हैः मुख्यमंत्री

देहरादून, 20 नवम्बर (हि.स.)। प्रारंभिक फेज में अधिकारी उप जिलाधिकारी, सीडीओ, जिलाधिकारी के रूप में नीतियों, नियमों, निर्देशों का सिर्फ पालन कर रहे थे, लेकिन आठ-10 साल के अनुभव के बाद अब बड़ी जिम्मेदारियों के साथ उन्हें नीतियों-नियमों के निर्धारण में भी अपनी भूमिका अदा करनी होगी। वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के फेज-तीन मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘सिर्फ करना नही है, वरन क्या करना है, अब यह भी आपको निर्धारित करना है।

सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के प्रशिक्षण सत्र को संबोधित किया। ये अधिकारी अकादमी में फेज-तीन मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आए हैं। आईएएस प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि 22 राज्यों के 85 अधिकारियों की उपस्थिति राष्ट्र की विशालता और विविधता में एकता की परिचायक है। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश के चार कोनों में चार धाम स्थापित कर सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया था। सरदार पटेल ने स्वतंत्रता प्राप्त होने के उपरान्त देश की विभिन्न रियासतों को भारत संघ में विलय करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम 8-10 वर्ष का अनुभव प्राप्त कर चुके अधिकारियों के लिए आयोजित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आधुनिक कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी से लगातार अपडेट रहने को कहा। उन्होने कहा कि नई पीढ़ी अधिक होशियार है, उन्हें रिस्पांस तेज चाहिए, इसलिये आईएएस अफसर भी आधुनिक तकनीक के साथ लगातार रिस्पांसिव व अपडेटेड हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर जनता अपनी समस्याए एवं शिकायतें भेजती है और तत्काल प्रतिउत्तर एवं समाधान की अपेक्षा करती है। अधिकारियों को भी नयी तकनीकि को अपनाना होगा। 

मुख्यमंत्री ने जन संवाद का महत्व बताते हुए कहा कि कई बार जनता के बीच में से बहुत अच्छे सुझाव एवं समाधान प्राप्त होते हैं, अतः जनता से संवाद लगातार बनाए रखें। मुख्यमंत्री ने स्वंय के कृषि मंत्री के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने अपने अधिकारियों के साथ 07 दिन क्षेत्र भ्रमण किया और मौके पर ही तीन शासनादेश जारी किए थे। जनता से वार्तालाप के दौरान व्यवहारिक समाधान प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार जो नर्सरी एक्ट लाने जा रही है, वह भी जनता से प्राप्त सीधे फीडबैक के आधार पर ही तैयार किया गया है। उन्होने कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग में कोई न कोई गुण अवश्य होता है, उसको पहचान कर, सबको साथ लेकर आगे बढ़ना वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री ने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस में उल्लिखित पक्तियों ‘‘सचिव, वैद, गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस; राज, धर्म तन, तीनि कर होई बेगिहि नास‘‘ का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को राजनीतिक नेतृत्व के समक्ष अपनी राय बेबाकी से स्पष्ट वादिता के साथ रखनी चाहिए। उन्होने कहा नियम-कानूनों की जानकारी रखना तथा उनके बारे में अवगत कराना सचिव का कार्य है। 

इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का स्वागत करते हुए अकादमी की निदेशक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी उपमा चौधरी ने कहा कि उनके कार्यकाल में पहली बार किसी मुख्य अतिथि ने पूरा अकादमी गीत सबके साथ पढ़ा। उन्होने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न जन कल्याणकारी कार्यो का उल्लेख भी किया। श्रीमती चौधरी ने कहा कि उत्तराखण्ड चौथा राज्य है जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित हुआ है। उन्होने राज्य सरकार की 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेण्टर बनाने की योजना, टेली रेडियोलॉजी, टेलीमेडिसिन, बैलून टेक्नोलॉजी का भी उल्लेख किया। उन्होने बाहर से आये आईएएस अधिकारियों को रिस्पना और कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण अभियान के बारे में भी बताया।

एक माह के फेज-3 प्रशिक्षण कार्यक्रम में 22 राज्यों के 85 अधिकारी हैं। अधिकांश अधिकारी वर्ष 2006 से 2008 बैच के हैं। उत्तराखण्ड काडर के बृजेश संत, राघव लंगर, राजेश कुमार, एसएन पाण्डे और विनोद रतूड़ी इस मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित है। इस मौके पर मुख्यमंत्री की सचिव राधिका झा, अकादमी की संयुक्त निदेशक आरती आहूजा आदि भी उपस्थित थे।

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