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कृषि मंत्री बोले, ”किसानों को नहीं छोड़ेंगे भाग्य-भरोसे”

गोरखपुर, 03 फरवरी (हि.स.)। प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा है कि कृषि विभाग किसानों की आय को दोगुनी करने की दिशा में काम कर रहा है। कई तरह की योजनाएं शुरू हैं। कुछ योजनाओं को लागू करने का खाका तैयार हो रहा है। हम हर हाल में किसानों को खेती से लाभ दिलाएंगे। इन्हें भाग्य भरोसे नहीं छोड़ेंगे।

उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां खेतीबाड़ी से जुड़े किसानों को वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। वर्षा नहीं होने पर फसल उत्पादन प्रभावित होता है। ऐसे में किसान को घाटा होता है। लेकिन अब इन्हें इस प्रकार के घाटे से उबारने के लिए सरकार ने कदम उठाना शुरू कर दिया है।

श्री शाही ने कहा कि सरकार वर्षा आधारित क्षेत्र में ऐसी फसल पद्धति को प्रोत्साहित करने जा रही है, जो कम वर्षा में भी अच्छा उत्पादन देने में सक्षम होगी। इस पद्धति को अपनाने वाले किसान फसल उत्पादन के साथ एक ऐसी पद्धति विकसित कर लेंगे, जिससे उनकी आय का स्रोत अनवरत बना रहेगा। कम वर्षा होने पर भी उत्पादन कम नहीं होगा और उनकी आर्थिक स्रोत का जरिया बना रहेगा। फसल उत्पादन से जुड़े रहकर भी किसान अपनी आय का अतिरिक्त जरिया बना लेंगे। एकीकृत फसल पद्धति और मूल्य-संवर्धन पर जोर देकर हम किसानों को उनके पैरों पर खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। यह किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में कारगर साबित होगा।

35 जिलों के किसानों को अभी मिल रहा लाभ

शाही ने बताया कि इस दिशा में सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। चयनित 35 जिलों के किसानों को को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन जिलों में 19 अर्द्ध शुष्क और 16 अर्द्ध आर्द्र जिलों को शामिल किया गया है।

ये हैं चयनित जिले

अर्द्ध शुष्क जिलों में औरैया, बागपत, बांदा, ललितपुर, चित्रकूट, इटावा, फतेहपुर, हमीरपुर, हाथरस, जालौन, झांसी, जेपीनगर, कन्नौज, कौशाम्बी, महोबा, मेरठ, मुरादाबाद, शाहजहांपुर और उन्नाव शामिल हैं, जबकि अर्द्ध आर्द्र जिलों में अम्बेडकरनगर, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, चंदौली, फैजाबाद, गोंडा, खीरी, मिर्जापुर, रामपुर, संतकबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर और सोनभद्र को शामिल किया गया है।

यह खेती बढ़ाएगी आमदनी

किसानों को दो तरह की खेती करने को प्रेरित किया जा रहा है। आरएडीपी योजना के तहत इन जिलों में हो रहे प्रयासों में दो तरह की फसल उत्पादन पद्धति पर जोर दिया जा रहा है। एकीकृत फसल पद्धति में फसल उत्पादन के साथ पशु, दुग्ध, उद्यान, वानिकी और मत्स्य आधारित उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। मूल्य संवर्धन के प्रयास के तहत मौन पालन, पाली और लोटनल पाली हाउस, साइलेज, पोस्ट हार्वेस्ट स्टोरेज और वर्मी कम्पोस्ट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रहीं हैं। किसानों को अनुदान भी दिया जा रहा है। सभी तरह के सकारात्मक प्रयास से ही किसानों के दिन बहुरेंगे।

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