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कोर्ट में सुनवाई के दौरान माइक का प्रयोग करें जज, ताकि सबको सुनाई दे आवाज

-कानून के एक छात्र और दो युवा वकीलों ने जनहित याचिका में उठाई मांग

नई दिल्ली (ईएमएस)। सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग और यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग विचार-विमर्श के बीच कानून के एक छात्र और दो युवा वकीलों ने जनहित याचिका दायर कर मांग की अदालत में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश माइक का प्रयोग किया करें, ताकि उनकी बात को कोर्टरूम में मौजूद वादी-प्रतिवादी सभी लोग आसानी से सुन सकें।

याचिका मे यह भी मांग की गई है कि वकील उसी जगह से बहस करें जो उनके लिए पूर्व निर्धारित है। सामान्य रूप से पक्ष बायीं ओर और विपक्ष यानी प्रतिवादी दाहिनी ओर से बहस करते हैं, लेकिन कोर्ट में ये स्थितियां कई बार बदल जाती हैं, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। याचिका छात्र कुलदीप अग्रवाल और वकील कुमार शानू और पारस जैन ने दाखिल की है। उन्होंने कहा कि यह मामला कोर्ट में पहले से लगे हुए ऑडियो सिस्टम के प्रयोग में लाने के लिए है। इससे मीडिया को सर्वोच्च न्यायालय की सही रिपोर्टिंग करने में असानी होगी। वहीं वकील, इंटर्न और आम जनता को कार्यवाही सुनने में सहूलियत होगी।

माइक इस्तेमाल नहीं किए जाने की वजह से पीछे दर्शक दीर्घा तक जजों की आवाज नहीं पहुंचती जिसकी वजह से वे कोर्ट की कार्यवाही को समझ नहीं पाते। उन्होंने कहा माइक प्रणाली का इस्तेमाल न करना खुले कोर्ट की अवधारणा को प्रभावित करता है। याचिका में कहा गया है कि बेंच और वकीलों के लिए माइक प्रणाली का प्रयोग नहीं करना मौलिक अधिकारों का हनन तो है ही, न्याय वितरण में भी बाधा है। याचिकाकर्ताओं ने कहा जब वे इंटर्नशिप कर रहे थे, तब उन्हें हमेशा खचाखच भरे रहने वाले सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को समझने और लिखने में बहुत परेशानी होती थी। जब वे कोर्ट में वादी की तरह पेश हुए तो भी उन्हें सुनने में और देखने में बहुत दिक्कतें हुईं, जिससे उन्हे अनुछेद 19 ( 1) (ए) के तहत मिले उनके जानने के अधिकारों व खुले कोर्ट के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ।

एक आरटीआई अर्जी के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में खुद बताया है कि कोर्ट रूमों में ऑडियो सिस्टम लगाने में 95 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च किया गया है। पिछले माह सर्वोच्च न्यायालय की कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग और यू ट्यूब पर उसकी लाइव स्ट्रीमिंग कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से राय मांगी है। कई विकसित और यूरोपीय देशों में सभी अदालतों की कार्यवाही की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग की जाती है जिसे कोई भी व्यक्ति देख सकता है। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने देश में एक जिले में एक कोर्ट की कार्यवाही की ऑडियो रिकॉर्डिंग करना शुरू करने का आदेश दिया था। अधिकतर जिलों में यह रिकॉर्डिंग शुरू होने की कगार पर है, लेकिन यह सिर्फ वादी को ही उपलब्ध होगी, जो उसे कोर्ट के आदेश पर दी जाएगी।

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