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गिरफ्तार आतंकी ने बताया, लखवी के बेटे का‎सिम की गाड़ी में आए एलओसी

– तुसान बाला जुगतियाल कें जंगलों से होते हुए कुपवाड़ा के हलमतपोरा पहुंचे

कुपवाड़ा (ईएमएस)। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में बीते 20 मार्च को गिरफ्तार हुए आंतकी जैबुल्लाह ने बताया कि किस तरह वह और उसके साथी एलओसी पार करके भारतीय सीमा में घुसे थे। गौरतलब है ‎कि 20 मार्च को एक ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने जैबुल्लाह के बाकी साथियों को मार गिराया था। ये 6 लोग आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने पूछताछ में आतंकियों के भारत आने के रास्ते के बारे में पता लगाया है। जैबुल्लाह द्वारा दिए गए बयान के मुताबिक, ये लोग मुजफ्फराबाद से निकले थे। पीओके में दुधनियाल और तेजिया में रुके, सरवल (भारतीय सीमा में) और तुसान बाला जुगतियाल कें जंगलों से होते हुए कुपवाड़ा के हलमतपोरा पहुंचे।

जैबुल्लाह ने बताया ‎कि ‘अंतिम दौर की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद हमारे ट्रेनिंग हेड हुजेफा ने हम छह लोगों को सिलेक्ट किया। हमें एके-47 राइफल, एक किलो खजूर और बादाम, पांच बोतल शहद, 20 रोटियां और एक लाख रुपये (इंडियन करंसी) दिए गए। ये सामान हमें जकीउर रहमान लखवी के बेटे कासिम भाई ने दिए। लखवी 26/11 हमलों का मास्टरमाइंड और ऑपरेशनल कमांडर है। इन लोगों को कासिम की टोयोटा कार में मुजफ्फराबाद से सरवल तक पहुंचाया गया। जैबुल्लाह ने कहा ‎कि हमें एलओसी पहुंचने में दो दिन लगे, हमने उस रात बाड़ काटी और भारतीय सीमा में आ गए। हमारे साथ आए पांच अन्य लोग एलओसी से ही लौट गए। इशके बाद हमने जीपीएस की मदद से यात्रा शुरू की और इंडियन आर्मी की पोस्ट ढूंढी। ये लोग कुपवाड़ा के जंगलों में 15 दिन तक छिपे रहे। कुछ स्थानीय कश्मीरियों ने इन्हें राशन भी मुहैया कराया। 12 मार्च की शाम को हम लोग अल्ताफ और बिला के घर पहुंचे।

हमारे ग्रुप लीडर वकास से उनसे दाल, बिस्किट, बर्तन और मिल्क पाउडर खरीदा और उन्हें 13,000 रुपये दिए। हम वहां पर छह दिन रुके। 18 मार्च को हम दूसरे गांव फतेह खान पहुंचे, वहां लोगों ने पहले तो हमें रखने से इनकार कर दिया लेकिन बाद में एक ने हमें खाना और रहने को जगह दी। 20 मार्च को आर्मी ने इलाके को घेर लिया और फायरिंग शुरू कर दी। हम सब उठे, अपने हथियार लिए और जंगल की ओर भागने लगे। हम ढोक के एक घर में पहुंचे और उसके मालिक को बताया कि हम लश्कर से हैं और पाकिस्तान से आए हैं। यहीं एनकाउंटर में मेरे साथी मारे गए और मैं भागने में कामयाब रहा। हालांकि, बाद में मैं भी पकड़ा गया।

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