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गोरखपुर लोस उपचुनाव : सुरहिता को प्रत्याशी बना कांग्रेस ने खड़ी की मुश्किलें, सपा में बेचैनी

गोरखपुर, 17 फरवरी (हि.स.) । गोरखपुर लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस ने महानगर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. वजाहत करीम की पत्नी डॉ. सुरहिता करीम को उम्मीदवार बनाकर समाजवादी पार्टी के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण अब सपा के प्रयासों पर पानी फेरने को तैयार है। हालांकि राजनैतिक समीक्षक कांग्रेस द्वारा फेंका तुरुप का पत्ता बता रहे हैं। डॉक्टर वजाहत और सुरहिता करीम के सामाजिक कार्यों का फल वोट में रूप में मिलना तय माना जा रहा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी और निषाद पार्टी के बीच चल रही बातचीत प्रभावित होना लाजिमी है। सपा और निषाद पार्टी में चल रही बातचीत में निषाद व मुस्लिम मतों के संभावित ध्रुवीकरण को लेकर चर्चाएं भी हो रही हैं।

गोरखपुर मेयर के लिए चुनाव लड़ चुकीं सुरहिता का अच्छा खासा जनाधार भी है। भाजपा की डॉ. सत्या पांडेय के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली डॉ. सुरहिता को 83 हजार से अधिक मत मिले थे। यह उपलब्धि भी ऐसे समय में मिली थी, जब डॉ. अयूब खान की पीस पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी और सुन्नी मुसलमानों का जबर्दस्त ध्रुवीकरण हुआ था।

डॉ. सुरहिता के पति डॉ. वजाहत एक चिकित्सक हैं। महानगर के विंध्यवासिनी नगर स्थित स्टार नर्सिंग होम नाम से स्थापित चिकित्सालय पूर्वांचल के नमी-गिरामी अस्पतालों में से एक है। यहां आने वाले गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने वाले दंपत्ति यहीं तक सीमित नहीं रहते हैं बल्कि अन्य सामाजिक कार्यों के बल पर भी अपनी छवि निखारने में जुटे रहते हैं। राजनैतिक समीक्षकों की मानें तो इसका फायदा मिलना भी तय है। ऐसे में संसदीय क्षेत्र में रहने वाले तकरीबन 1.50 लाख मुस्लिम मतदाताओं के अलावा गरीबों का मन भी डॉ. सुरहिता के बारे में एक बार विचार जरूर करेगा। यही बातें सपा को मुश्किल में डालने वाली होंगी।

आगरा में जन्मे डॉ. वजाहत फिल्म निर्माण से भी जुड़े रहे। गोरखपुर को कर्मभूमि बनाने वाले डॉ. वजाहत यहां की भोजपुरी संस्कृति में रच बस गए। मुशायरा आदि के माध्यम से अपनी साहित्यिक रुचि प्रदर्शित करने वाले डॉ. करीम ने बाद में यह उत्तरदायित्व अपनी पत्नी सुरहिता को सौंप दिया। हालांकि इसके पूर्व ही डॉ. वजाहत ने भोजपुरी फिल्म केहू हमसे जीत न पाई का निर्माण किया और काफी वाहवाही लूटी। वर्ष 2002 में हिन्दी फिल्म सोच’ और वर्ष 2010 में फिल्म दो दिलों के खेल में बनाकर उन्होंने खुद को एक अच्छा फिल्म निर्माता साबित किया।

इस कारण स्वीकारी उम्मीदवारी : राजनैतिक समीक्षक इस बात से हैरान हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से लोकसभा उम्मीदवार बनने के प्रस्ताव को खारिज कर चुकीं डॉ. सुरहिता ने इस बार उम्मीदवारी कैसे स्वीकार कर ली? समीक्षकों का मानना है कि फिल्मी दुनिया से संबंध रखने वाले इस परिवार ने अभिनेता और कांग्रेस नेता राजबब्बर के दबाव में यह स्वीकार किया है, लेकिन दूसरा पक्ष इसे कतई स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है। इनका मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सीट छोड़ने के बाद ही डॉ. सुरहिता ने उम्मीदवारी के लिए हामी भरी है।

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