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जन्माष्टमी विशेष : इस तरह करे भगवान कृष्ण की पूजा , सभी तरह के दुखों का होगा नाश

मुंबई (28 अगस्त): मथुरा-वृंदावन समेत देशभर में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी जोरों पर है। मान्यता के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का एक अवतार माना जाता है। भाद्रपद अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह हिन्दुओं का खास त्योहार है। इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 3 सितंबर 2018 को पड़ रही है। इसी तिथि में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में आधी रात के वक्त हुआ था।

मान्यता के अनुसार इस भगवान कृष्ण की पूजा करने सभी तरह के दुखों का नाश होता है और भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।

व्रत और पूजा विधि…
– उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें
– उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं
– सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें
– जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें
– मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें
– भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.

इस मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें…
‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः.
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः.
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते’

व्रत विधि…
– व्रत के दिन मध्याह्न में स्नानकर माता देवकी के लिए सूतिका गृह बनाएं
– इस सूतिका गृह में बाल गोपाल समेत माता देवकी की मूर्ति स्थापित करें
– विभिन्न मंत्रों द्वारा माता देवकी, बाल गोपाल कृष्ण, नन्दबाबा, यशोदा माता, देवी लक्ष्मी आदि की पूजा करनी चाहिए
– आधी रात को गुड़ और घी से वसोर्धारा की आहुति देकर षष्ठीदेवी की पूजा करनी चाहिए
– नवमी के दिन माता भगवती की पूजा कर ब्राह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए

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