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तुर्की में रूस के राजदूत की हत्या की भारत ने निंदा की

ई दिल्ली, = भारत ने तुर्की में रूस के राजदूत आंद्रे जी कार्लोव की हत्या पर गहरा दुःख प्रकट किया है और इस घटना की निंदा की है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने मंगलवार को यहाँ टवीट कर कहा कि आतंकवाद और हिंसा को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है। इस तरह की घृणित कार्रवाई से हम दुखी हैं और हमें गहरा धक्का लगा है। हम आंद्रे जी कार्लोव के परिवारीजनों के साथ दुःख की इस घड़ी में संवेदना व्यक्त करते हैं।

तुर्की की राजधानी अंकारा में सोमवार को रूस के राजदूत आंद्रे कारलोव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद तुर्की और रूस के पहले से खराब होते जा रहे संबंधों में और जटिलता आने के कयास लगाए जा रहे हैं।

पिछले साल तुर्की ने गिराया रूस का विमान

गौरतलब है कि तुर्की ने पिछले साल इन्हीं दिनों सीरिया के साथ लगती अपनी सीमा पर रूस का एक जेट विमान गिरा दिया था। तब से तुर्की की सरकार ने आंद्रे कारलोव को तलब कर अपने वायुक्षेत्र में रूसी विमान की घुसपैठ का आरोप लगाते हुए इसपर आपत्ति जताई थी। जब से सीरिया में रूस ने हस्तक्षेप शुरू किया है तब से ही तुर्की की सरकार इसके खिलाफ रूसी राजदूत आंद्रे कारलोव को बुलाकर इस बारे में अपना विरोध और आपत्ति जताती रही है।

रूसी विमानों ने उत्तरी सीरिया में बरसाए थे बम

हाल ही में जब रूसी विमानों ने उत्तरी सीरिया में तुर्कमेन पर बम बरसाए जो कि राष्ट्रपति बशर अल असद की विरोधी सेनाओं का गढ़ है तब अंकारा ने कारलोव को समन कर मॉस्को को कड़ा संदेश भेजा था। रूस और तुर्की के बीच तनाव तब और बढ़ गया जब क्रेमलिन की ओर से आर्थिक संबंध तोड़ने की बात सामने आई। रूस के प्रति ये गुस्सा ही माना जा रहा है कि कारलोव की हत्या की वजह बना।

ये थे आंद्रे जी कारलोव

आंद्रे कारलोव को जुलाई 2013 में तुर्की में रूस के राजदूत बनाया गया था। 1954 को मॉस्को में जन्मे आंद्रे कारलोव ने अपना डिप्लोमेटिक करियर मॉस्को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस ओर देश की डिप्लोमेटिक अकेडमी से ग्रेजुएट करने के बाद शुरू किया। इससे पहले आंद्रे कारलोव उत्तर कोरिया में भी रूस के राजदूत रह चुके थे,उनके परिवार में पत्नी और एक बेटा है। उनके साथी उन्हें मृदुभाषी, पेशेवर और मेजबानी में निपुण बताते हैं।

90 साल में पहला मामला

बता दें कि रूसी राजदूत की इस तरह हत्या का ये तकरीबन 90 साल में पहला मामला है, इससे पहले पोलैंड में सोवियत राजदूत प्योटर वोयकोव की वारसा में 1927 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 19वीं सदी में तेहरान में भी रूसी दूतावास पर भीड़ के हमले से कवि और राजनयिक अलेक्जेंडर ग्रिवॉयदोव की मौत हो गई थी।

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