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पुलवामा हमला: मोदी सरकार ने उठाया बड़ा कदम इन अलगाववादियों से सुरक्षा छीनी, सुरक्षा पर हो रहा था इतने करोड़ खर्च

नई दिल्ली (17 फरवरी): J&K के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार एक्शन में नजर आरही है .सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए कश्मीरी अलगाववादियों को मिली सुरक्षा छीन लेने का फैसला किया है।

 इन अलगाववादी नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल ग़नी भट्ट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, शब्बीर शाह शामिल हैं। केंद्र सरकार की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक, इन अलगाववादियों को मुहैया कराई गई सुरक्षा और दूसरे वाहन आज शामिल से वापस ले लिए जाएंगे।  इसमें कहा गया है, किसी भी अलगाववादी सुरक्षाबल अब किसी सूरत में सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे।

 अगर उन्हें सरकार की तरफ से कोई अन्य सुविधा दी गई है, तो वह भी तत्काल प्रभाव से वापस ले ली जाएगी। इसके साथ ही अब पुलिस मुख्यालय किसी अन्य अलगाववादियों को मिली सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा करेगा और उसे भी तत्काल वापस ले लिया जाएगा। अलगाववादियों की सुरक्षा पर केंद्र सरकार भी बड़ी मात्रा में खर्च करती है। राज्य सरकार की  रिपोर्ट के अनुसार, अलगाववादियों की सुरक्षा पर पिछले 5 साल में करीब 149.92 करोड़ रुपये सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षा गार्ड (पीएसओ) पर खर्च किए गए।

घाटी के अलगाववादी नेताओं पर खर्च का ज्यादातर हिस्सा केंद्र सरकार उठाती रही है। इस खर्च में महज 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार और शेष 90 फीसदी केंद्र वहन करती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 साल में 309.35 करोड़ रुपये अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में लगाए गए निजी सुरक्षा गार्ड  और अन्य सुरक्षा पर खर्च हो गए।

 इसके अलावा इनकी सुरक्षा में चलने वाली गाड़ियों पर डीजल के मद में 26.41 करोड़ खर्च किए गए। साथ ही 20.89 करोड़ इनके लिए होटल के इंतजाम पर खर्च किए गए।विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक श्रीनगर में सबसे ज्यादा 804 राजनीतिक कार्यकर्ता हैं जबकि जम्मू क्षेत्र में 637 और लद्दाख क्षेत्र में 31 नेता शामिल हैं।पिछले साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सालाना 10.88 करोड़ रुपए खर्च किए गए।यह राज्य में कई तरह की वीवीआईपी सुरक्षा पर खर्च होने वाले बजट का करीब 10% है। मीरवाइज उमर फारुख की सुरक्षा सबसे मजबूत है। उसकी सुरक्षा में डीएसपी रैंक के अधिकारी हैं। उसके सुरक्षाकर्मियों के वेतन पर पिछले एक दशक में 5 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं।

 

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