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फिल्म समीक्षा- फिल्लौरी

STAR . 2.5

स्टारकास्ट -अनुष्का शर्मा, दिलजीत दोसांझ

डायरेक्टर – अंशई लाल

प्रोड्यूसर – अनुष्का शर्मा, कर्णेश शर्मा

लेखक – अनविता दत्त 

बतौर प्रोड्यूसर एनएच 10 जैसी फिल्म बनाने के बाद अनुष्का शर्मा से उम्मीद की जा रही थी कि उनकी अगली फिल्म में बेहतर कहानी होगी और वे अच्छी फिल्म बनाएंगी। उनकी नई फिल्म फिल्लौरी में कहानी तो अच्छी थी, लेकिन कमजोर और बिखरी पटकथा ने इस फिल्म को बुरा बनाने में भरपूर योगदान दिया। इसके चलते ये फिल्म निराश करती है। इसकी काफी हद तक जिम्मेदारी निर्देशन संभालने वाले अंशई लाल की होती है, जो फिल्म को संभाल नहीं पाए। वे पहली बार किसी फिल्म के निर्देशक बने हैं। 

फिल्म की कहानी.

कहानी की बात करें, तो पंजाब के एक गांव में कनन (सूरज शर्मा) की शादी पीपल के पेड़ से इसलिए कराई जाती है, क्योंकि वो मांगलिक हैं। जिस पेड़ से शादी होती है, वहां एक महिला भूत शशि (अनुष्का शर्मा) उससे शादी की जिद्द पर अड़ जाती है। आगे जाकर शशि का अतीत सामने आता है, जब वे फिल्लौरी गायक (दलजीत दोशांज) से प्यार करती थीं। बाद में कैसे इन दोनों कहानियों को मिलाया जाता है, ये बताने की जरूरत नहीं।

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दो अलग-अलग कहानियों में संतुलन साधने में अंशईलाल का निर्देशन कमजोर साबित हुआ। भूतनी के तौर पर शशि वाला ट्रैक दिलचस्प है और मनोरंजन के पल जुटाता है, लेकिन इमोशनल वाले एंगल पर कहानी कमजोर होती चली जाती है। इसकी वजह लंबे-लंबे सीन और कमजोर एडीटिंग को भी माना जा सकता है। शशि के किरदार को अनुष्का ने अच्छी तरह निभाया। उनकी सहजता इस फिल्म की मजबूती है, लेकिन सूरज और यहां तक कि दोशांज के किरदार और परफॉरमेंस दोनों कमजोर हैं। अंशईलाल का निर्देशन तो माशाल्लाह है। तकनीकी स्तर पर फिल्म अच्छी है, जिसमें वीएफएक्स का भरपूर इस्तेमाल किया गया। गीत-संगीत के मामले में फिल्म कमजोर है। एक भी गाना याद नहीं रहता।

एक नजर में.

एक नजर में कहा जाए, तो फिल्लौरी का भूत या कहा जाए कि भूतनी दर्शकों का मनोरंजन करती है, लेकिन लंबे सीन, कमजोर एडीटिंग और लुलपुंज पटकथा उनके मनोरंजन का मजा खराब करते हैं। फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर चलने की ज्यादा संभावना नहीं है।

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