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बजट आवंटन की 70 प्रतिशत राशि राज्य सरकारों को जारी : जुएल ओराम

ई दिल्ली, 27 दिसम्बर=  केंद्रीय जनजातीय कार्यमंत्री जुएल ओराम ने कहा है कि उनके मंत्रालय के वर्ष 2016-17 के बजट आवंटन का 70 प्रतिशत हिस्‍सा राज्य सरकारों को जारी किया जा चुका है। बाकी रकम भी 30 जनवरी 2017 तक जारी कर दी जाएगी।

मंगलवार को अपने मंत्रालय की वर्ष-2016 की उपलब्‍धियों की चर्चा करते हुए एक संवाददाता सम्‍मेलन में ओराम ने कहा कि 25 प्रतिशत राशि राज्यों के प्रदर्शन के आंकलन को देखने के लिए रोकी जाती है। जल्दी ही इसका आंकलन कर बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों को प्रोत्साहन राशि के साथ इसे भी जारी कर दिया जाएगा। ओराम ने कहा कि उनके मंत्रालय ने वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्‍वयन पर विशेष ध्‍यान दिया है। अक्टूबर, 2016 तक राज्य सरकारों से मिली सूचना के अनुसार लगभग 16.78 लाख व्यक्तिगत (वन अधिकार) अधिकार पत्र 55.43 लाख एकड़ की वन भूमि क्षेत्र के लिए दिए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्‍त 48,192 सामुदायिक (वन अधिकार) अधिकार पत्र लगभग 47 लाख एकड़ वन भूमि क्षेत्र के लिए वितरित किए जा चुके हैं।

उन्होंने अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन का उल्‍लेख करते हुए बताया कि हाल ही में पुदुचेरी में इरूलर (विल्‍ली और वेट्टईकरण सहित) जनजाति को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किया गया है। इसी तरह असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, तमिलनाडु और त्रिपुरा में अनुसूचित जनजातियों की सूची संशोधित करने के लिए संविधान (अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन), विधेयक-2016 संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया है।

ओराम ने कहा कि उनका मंत्रालय जनजातीय लोगों की जरूरतों के अनुसार ढांचे के निर्माण के लिए केंद्रीय कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय के साथ सहयोग कर रहा है। देशभर में 163 जनजातीय बहुल जिलों में एक बहु-कौशल संस्थान स्थापित करने की योजना है। अवसंरचनात्मक ढांचे के निर्माण पर खर्च, जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा राज्य सरकारों के बीच आधा-आधा बांटा जाएगा।

उन्होंने इसी महीने की 22 तारीख को भुवनेश्‍वर में जनजातीय आजीविका पर राष्ट्रीय वनजीवन संसाधन केंद्र की स्‍थापना की भी चर्चा की। ओराम ने कहा कि वनजीवन संसाधन केंद्र जनजाति समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए शोध एवं तकनीकी केंद्र के रूप में शीर्ष केंद्रीय संस्थान की तरह काम करेगा। वनजीवन संसाधन केंद्र उद्यमशीलता तथा कौशल उन्नयन के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में सतत् आजीविका केंद्रों के विकास एवं प्रसार का काम करेगा।

लघु वन उत्पाद (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का उल्‍लेख करते हुए ओराम ने कहा कि पिछले महीने इस योजना के कार्यक्षेत्र का विस्‍तार अनुसूची-5 वाले राज्‍यों से बढ़ाकर देश के सभी राज्‍यों में कर दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि एमएफपी की मौजूदा 12 वस्‍तुओं की सूची में 14 अन्‍य वस्‍तुएं भी शामिल की गई हैं। इसके अलावा जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से 10 प्रतिशत अधिक या कम निर्धारित करने की भी छूट राज्यों को दी गई है।

ओराम ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया का प्रसार रोकने के लिए भी उनके मंत्रालय ने कई पहल किए हैं ताकि सिकल सेल वाहक (मरीज) की ठीक ढंग से देखभाल की जा सके तथा आगे की पीढ़ियां इस बीमारी से बच सकें। इस बीमारी के प्रसार पर नियंत्रण के उद्देश्य से सिकल सेल प्रबंधन के लिए एक प्रोटोकॉल मार्च, 2015 में जारी किया गया था। इस संबंध में राज्य सरकारों के माध्यम से पूरे देश के जनजातीय लोगों के बीच सिकल सेल के लक्षण तथा बीमारी की घटनाओं को चिह्नित करने के लिए जैवप्रौद्योगिकी विभाग के समन्वय में राज्यों में कार्यशालाएं आयोजित की गईं। अब तक लगभग एक करोड़ बच्चों तथा युवाओं की जांच की जा चुकी है।

ओराम ने कहा कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के साथ परामर्श के बाद नवम्बर, 2016 में राज्यों को एक संशोधित प्रोटोकॉल जारी किया गया है। इसके अनुसार, बच्चों तथा युवाओं की जांच के अलावा गर्भवती महिलाओं की भी जांच की जानी है और परिवार में किसी के रोगग्रस्त पाए जाने पर परिवार के अन्य सदस्यों की भी जांच की जाएगी। इस कार्यक्रम में सिकल सेल वाहकों को परामर्श तथा सिकल सेल के मरीज के उपचार का भी प्रावधान है।

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