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बहुमत का गणित पैदा कर सकता है भाजपा के लिए समस्या

देहरादून, 10 मई = बहुमत का गणित कई बार समस्या भी पैदा करता है। उत्तराखंड भाजपा की 57 सीटें जरूर आई हैं पर इन सीटों में से आधे से अधिक मंत्री पूर्व कांग्रेसी है। जिनमें सतपाल महाराज, डा. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य तथा रेखा आर्य के नाम शामिल है। इन मंत्रियों के भाजपा में शामिल होने जाने के कारण भाजपा का कोटा कम हो गया। आज भी दो मंत्रियों के पद रिक्त हैं जिनको लेकर भाजपा विधायकों में लगातार लिप्सा बनी हुई है कि यह पद किसकों मिलते हैं।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल, उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान के साथ भाजपा के मंत्रियों में प्रकाश पंत, मदन कौशिक, अरविंद पांडे, डा. धनसिंह रावत, को भाजपा पद दे पाई है शेष 47 लोग अभी मंत्री पद की प्रतीक्षा में है, लेकिन क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बिठाने के प्रयास में अब तक इन मंत्रियों को शपथ नहीं दिलाई गई है जिसके कारण भाजपा का आंतरिक असंतोष बढ़ता जा रहा है, हालांकि कोई भी विधायक बोलने को तैयार नहीं है लेकिन कई प्रमुख नाम ऐसे हैं जो मंत्री बनने की योग्यता भी रखते हैं और पद भी रिक्त हैं। इनमें दो नाम पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हराने वाले विधायकों में है जिनमें हरिद्वार ग्रामीण से स्वामी यतीश्वरानंद तथा किच्छा से राजेश शुक्ला के नाम है। दोनों दूसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं।

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इसी प्रकार देहरादून कैंट के विधायक हरबंस कपूर प्रमुख दावेदारों में से है। पूर्व मंत्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहने के कारण उनके अनुभवों का लाभ पार्टी के मिल सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। यही स्थिति तीसरी बार विधायक बने गणेश जोशी की भी है जबकि विकासनगर से विधायक बने मुन्ना सिंह चौहान काफी जानकार लोगों में माने जाते हैं, जिनकी विशेषज्ञता का लाभ पार्टी को मिल सकता है। युवा विधायकों में भी एक लंबी फौज मंत्री बनने की कतार में शामिल हो सकती है। पूर्व मंत्री बिशन सिंह चुफाल के साथ-साथ युवा नेता एवं खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी का नाम भी प्रमुख है जो युवा मोर्चे के वरिष्ठ पदाधिकारी तथा नेतृत्व क्षमता वाले है।

इनके साथ ही साथ कई नाम ऐसे भी है जो मंत्री पद की दौड़ में शामिल हो सकते है। अब यह आलाकमान के ऊपर निर्भर करेगा कि वह किसी मंत्री पद से उपकृत करता है।

सरकार बनने के समय मुख्यमंत्री के अलावा सात कैबिनेट मंत्री व दो राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। व्यवस्था के अनुसार 70 सदस्यों में से 12 को मंत्री बनाया जा सकता है अभी यह संख्या 10 है और दो पदरिक्त चल रहे हैं। उत्तराखंड मंत्रिमंडल में शामिल होने की प्रतीक्षा भाजपा के विधायकों की एक लंबी फौज है जिसमें कई पूर्व मंत्री और दो से लेकर आठ बार विधायक रह चुके वरिष्ठ नेता शामिल हैं। यह बात अलग है कि किसे मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन दो रिक्त पदों के कारण विधायकों की बेकरारी बढ़ती जा रही है जिसके कारण उनमें लगातार असंतोष पैदा हो रहा है।

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