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बिहार में थमने का नाम नहीं ले रहा शौचालय घोटाला, एक आईडी पर 42 बार निकाले गए पैसे

 पटना, सनाउल हक़ चंचल

पटना : एक व्यक्ति को आखिर कितने शौचालय चाहिए? एक आम आदमी के घर में अमूमन कितने शौचालय होते हैं? आपको जानकर हैरत होगी कि बिहार में एक ऐसा भी शख्श है, जिसने 42 शौचालय के लिए सरकार से अनुदान लिया है। मामला हाजीपुर सदर प्रखंड के चकुंदा उर्फ मिल्की पंचायत के विशुनपुर राम गांव का है।

विशुनपुर गांव में शौचालय निर्माण के लिए मिलने वाली अनुदान राशि एक ही व्यक्ति के नाम पर अलग-अलग आइडी से 42 बार निकाली गई। उस व्यक्ति के नाम से 3 लाख 49 हजार 600 रुपये की निकासी की गई। वहीं एक अन्य व्यक्ति के नाम पर 10 बार में 91 हजार 200 रुपये की निकासी की गई। ये निकासी वर्ष 2015 के फरवरी से जून माह के बीच की गई।

इस संबंध में न तो पीएचईडी के पदाधिकारी कुछ स्पष्ट बोलने की स्थिति में दिख रहे हैं और न ही डीडीसी। सभी का एक ही कहना है कि मामला काफी पुराना है। वहीं ग्रामीण विकास विभाग के कुछ कर्मी इसे सॉफ्टवेयर की गलती मान रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि सॉफ्टवेयर की गलती से एक ही व्यक्ति के नाम पर अलग-अलग आइडी नंबर कैसे क्रिएट हो सकते हैं।

वर्ष 2014-15 में पूर्व स्वच्छ भारत अभियान के तहत जिले में बड़े पैमाने पीएचईडी ने एनजीओ व विभाग के माध्यम से शौचालय निर्माण कराया था। इसकी जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। अभी पूरे जिले की रिपोर्ट आनी बाकी है।

इसी योजना के तहत चकुंदा मिल्की पंचायत के विशुनपुर राम गांव निवासी योगेश्वर चौधरी के नाम पर अलग-अलग आइडी से 42 बार में 349600 रुपये तथा योगेश्वर राम के नाम पर दस बार में 91200 रुपये की निकासी की गई। रुपये की निकासी 5 फरवरी 2015 से 2 जून 2015 की तिथि में की गई।

ताज्जुब ये कि एक ही दिन में अलग-अलग आइडी से 37 बार निकासी की गई है। इस मामले चकुंदा मिल्की पंचायत के वार्ड नंबर 11 के सदस्य रोहित कुमार ने डीएम को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है।

किसके नाम पर कितने निकासी

शौचालय निर्माण के लिए विशुनपुर राम गांव के योगेश्वर चौधरी के नाम पर 18 बार दस-दस हजार, आठ बार 12 हजार व 16 बार में 46 सौ रुपये की कुल 349600 रुपये की निकासी की गई। वहीं विशेश्वर राम के नाम पर सात बार में दस-दस हजार, एक बार बारह हजार तथा दो बार में 46-46 सौ रुपये समेत 91200 रुपये की निकासी की गई।

क्या कहते हैं अधिकारी

योजना का काम काफी पहले पूर्ण होने के बाद इससे जुड़े सारे दस्तावेज डीडीसी कार्यालय भेज दिए गए थे। अभी हाल में उनका यहां से ट्रांसफर हो गया है।

– केशव प्रसाद, कार्यपालक अभियंता

मामला पुराना है। इसके बारे में पीएचईडी से ही जानकारी मिल सकेगी। ये गड़बड़ी कैसे हुई ये वाउचर जांच से ही पता चलेगा।

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