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भारतीय सियासत को खोखला कर रहा नव सामन्तवाद : रघु ठाकुर

Uttar Pradesh.लखनऊ, 13 फरवरी= प्रसिद्ध समाजवादी चिंतक और लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघु ठाकुर देश की वर्तमान सियासत में नव सामन्तवाद को एक नई बीमारी के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि यह रोग देश की सियासत को बड़ी तेजी से खोखला कर रहा है। वो कहते हैं कि पिछले कुछ दशकों से पनपे इस सियासत में एक ही परिवार के लोग राजनीतिक दलों के मुखिया हो रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ता उनकी कृपा पर निर्भर हैं।

हिन्दुस्थान समाचार से एक विशेष वार्ता में रघु ठाकुर ने कहा कि भारतीय सियासत में आये इस दोष के कारण यहां की राजनीति में अब कंपनी सिस्टम लागू हो गया है, जिसमें जातियों और धर्मों का शेयर लग रहा है और चुनाव का सीजन आते ही इन शेयरों को खुले बाजार में बेंचा जाता है। उन्होंने कहा कि अब राजनीति में सेवा भाव नहीं रहा। अब यह व्यापार हो गया है। मूल्य और विचार आधारित राजनीति खत्म हो गयी है। राजनीतिक दलों में अब आंतरिक लोकतंत्र भी नहीं रहा। टिकट व राजनीति के अवसर अब एक परिवार द्वारा निर्धारित होते हैं। पार्टी के कार्यकर्ता बधुंआ मजदूर हो गये हैं।

रघु ठाकुर ने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव की तिथियां नजदीक देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दल के नेताओं से कहा था कि कोई अपने सगे संबंधी अथवा रिश्तेदार के लिए टिकट नहीं मांगेंगे लेकिन उनके ऐसा कहते ही भाजपा के ही कुछ नेताओं में खलबली मच गयी और परिवारवाद की नयी परिभाषा गढ़ी जाने लगी। उन्होंने आगे कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन निःसंदेह कांग्रेस के बैनर तले लड़ा गया था और लड़ाई में पूरा देश एक साथ था, फिर आजादी मिलने के बाद इसका पूरा श्रेय एक ही परिवार को क्यों?

ठाकुर ने कहा कि आज देश की सियासत में राजनीतिक छुआछूत भी पनप चुका है। पूरी सियासत दो खेमों में बंट चुकी है। एक हिन्दू तो दूसरा मुस्लिम माइंडसेट का। यद्यपि धर्मनिरपेक्षता (सेक्यूलरिज्म) में किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं होता, लेकिन यहां तो जो मुस्लिम का पक्षधर है वह सेक्यूलर, और जो हिन्दू खेमे की बात करेगा उसे कम्यूनल (साम्प्रदायिक) माना जाता है। उन्होंने कहा कि गुजरात के राजनेता शंकर सिंह बघेला प्रारम्भ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में थे तो वह दूसरे पक्ष वालों के लिए कम्यूनल व अछूत थे लेकिन जैसे ही वह कांग्रेस में गये सेक्यूलर हो गये। यानि, यहां व्यक्ति का मूल्यांकन उसके विचारों के आधार पर नहीं बल्कि खेमे के आधार पर किया जाता है।

विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच हुये गठबंधन के बाबत पूछने पर लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मूल्य आधारित राजनीति के खत्म होने के कारण अब तालमेल भी कुर्सी के लिए होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि समाजवाद का जन्म ही कांग्रेसवाद के खिलाफ हुआ था लेकिन बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि गैर कांग्रेसवाद की बुनियाद पर जो पार्टी बनी थी, वही आज कांग्रेस से कुर्सी के लिए तालमेल कर रही है। यह डॉ. लोहिया के विचारों की हत्या है।

सपा कुनबे की रार के बारे में रघु ठाकुर कहते हैं कि यह मुलायम सिंह यादव का सुनियोजित नाटक है। उन्होंने कहा, ‘मैं मुलायम को व्यक्तिगत रुप से जानता हूं, वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर हद पार कर सकते हैं। इस नाटक के माध्यम से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश को मजबूत करने की योजना बनाई और अपने जीते अखिलेश के रास्ते के दो कांटों (शिवपाल और रामगोपाल) को अपने दांव से चित्त कर दिया। साथ ही रणनीति के तहत अखिलेश को पार्टी का मुखिया भी बना दिया। अब यदि कोई परिवारवाद का आरोप लगाएगा तो मुलायम कहेंगे कि क्या करें पार्टी कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर उसे अध्यक्ष मान लिया और मुझे बाहर कर दिया।’

नोटबंदी के सवाल पर वरिष्ठ समाजवादी चिंतक ने कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य तो ठीक था लेकिन, तैयारी अपूर्ण थी। हालांकि नोटबंदी के निर्णय को उन्होंने देशहित में और दूरगामी सकारात्मक परिणाम वाला बताया। उन्होंने कहा कि इससे मंहगाई कम होगी, सरकार का कोष मजबूत होगा और कालाधन व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। एक अन्य सवाल के जवाब में रघु ठाकुर ने कहा कि चुनाव के वक्त धार्मिक लोगों को सियासी फतवे नहीं जारी करना चाहिए। इससे वैचारिक राजनीति का ह्रास होता है और जनता में धार्मिक उन्माद पनपने की सम्भावना बढ़ जाती है।

बातचीत के दौरान रघु ठाकुर ने बताया कि उनकी लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे हैं। उनका दल प्रदेश की सात सीटों-लखनऊ कैंट, सुल्तानपुर सलोन, बहराइच नगर, चंदौली, झांसी की बबीना, मेहरोनी और ललितपुर में चुनाव लड़ रही है।

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