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यूपी-बिहार की सीमा पर अवैध रूप से शराब माफियाओं का खेल जारी , पुलिस बेबस

लखनऊ, 12 जून = उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर अवैध रूप से शराब माफियाओं का खेल जारी है और उनके गुर्गे सीमा का फायदा उठा कर करोड़ों रुपये की शराब पार कर रहे हैं। कहीं न कहीं सीमा जाल में फंस कर प्रदेश की सीमा पर चौकसी रखने वाली यूपी पुलिस शराब माफियाओं के गुर्गो या तस्करों को नहीं पकड़ पाती है।

उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से की सीमा बिहार से जुड़ती है और यहां पर करोड़ों रुपये अवैध शराब का कारोबार चलता है। इसमें कच्ची शराब, ब्रांडेड शराब, वाइन इत्यादी को पेटी में बंद कर छोटे मालवाहक वाहनों से उत्तर प्रदेश की सीमा से बड़े ही आसानी से बिहार की सीमा में पहुंचा दिया जाता है। बिहार पहुंचने के बाद शराब के दाम को तय कर वहां बैठे थोक व्यापारी को इसे बेच देते है। पिछले दिनों बिहार में शराब बंद होने के बाद से उत्तर प्रदेश के शराब माफियाओं की चांदी हो गयी है और उनकी सक्रियता भी बढ़ी है।

वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़, गोंडा, प्रतापगढ़ और चंदौली में बनायी जाने वाली अवैध शराब को लागत मूल्य से दोगुने या तीनगुने दामों में बिहार में बेचा जाता है। वहीं बिहार से कच्चे फल (महुआ, जामुन, पुराने अंगूर) से बनी शराब को उत्तर प्रदेश में पसंद किया जाता है और इसके लिए उसे यहां ला कर बेचा जाता है।

बिहार से लगने वाली सीमा पर छोटे-बड़े कई शराब माफिया और उनकी गैंग सक्रिय है। इसमें कुछ शराब माफियाओं पर राजनीतिक दलों की मोहर लगी हुई है और इसके कारण यूपी पुलिस सीधे तौर पर उनके ऊपर हाथ नहीं डाल पाती है। वहीं उनके गुर्गो की धरपकड़ के दौरान वे अक्सर सीमा पार कर के बच जाते हैं। पिछले दिनों यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान एक हजार से ज्यादा लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों में यूपी पुलिस ने पकड़ा था, इसमें अधिकांश शराब माफियाओं के गुर्गे थे। यूपी पुलिस ने चुनाव के समय जो ऑपरेशन चलाया था, उसमें बिहार पुलिस ने भी भरपूर मदद की थी।

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बिहार से उत्तर प्रदेश की बीच में लगी सीमा पर छोटी बड़ी शराब की दुकानें हैं लेकिन वहां से कोई बड़ी डील नहीं होती है। शराब से जुड़ी डील के लिए शराब माफिया अपने लोगों को सीमा पार भेज कर डील करते हैं। क्राइम रिकॉर्ड के मुताबिक बीते एक वर्ष में अवैध रूप से शराब के कारोबार में जुड़े 600 से ज्यादा लोगों पर मुकदमा कायम किया गया है। वहीं सौ से ज्यादा लोग जेल से छुटने के बाद फिर से उसी काम में सक्रिय हो गये है।

चंदौली के पुलिस उपाधीक्षक प्रदीप सिंह चंदेल ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि चंदौली जनपद के चार थाने सीधे तौर पर बिहार की सीमा से लगते हैं। जहां पर अवैध रूप से शराब का काम है। थानों सैयदराजा, इलिया, कन्दवा और नौगढ़ की पुलिस सुबह व रात्रि पहरों में गस्त कर आपराधियों पर नजर बनाये रखती है। उन्होंने बताया कि चारों थानों की पुलिस अक्सर ही किसी अपराधी की पकड़ के लिए बिहार पुलिस की मदद लेती है। पिछले दिनों ब्रांडेड शराब की बोतलों से भरे वाहनों को सीमा पर पकड़ा गया था। जब सीमा पार करने के बाद बिहार पुलिस की मदद से अवैध शराब को पकड़ा गया था। इसी प्रकार लगातार अवैध शराब का काम करने वाले सीमा पर पकड़े जाते है। इलिया और सैयदराजा की सीमाओं पर यूपी पुलिस की विशेष चौकसी रहती है, जहां कई बार शराब से भरे वाहनों को पकड़ा गया है।

देवरिया जनपद के पुलिस अधीक्षक राजीव मल्होत्रा ने न्यूज एजेंसी ने बताया कि बिहार के गोपालगंज और सीवान जिलों की सीमा देवरिया जनपद से लगती है। सीमा पर विशेष निगरानी के लिए यहां सात थानें भाटपार रानी, बनकटा, भटनी, थामपार, सलेमपुर, कोतवाली व लाररोड की छोटी चौकियां बनायी गयी है। सातों थानों की पुलिस भी सीमा पर गस्त करती है। उन्होंने बताया कि इसमें सबसे ज्यादा संवेदनशील थाना बनकटा है। बनकटा के रास्ते बिहार आने जाने वाले आपराधियों की संख्या ज्यादा है। पिछले दिनों सीमा पर आधा दर्जन अवैध शराब तस्करों को पकड़ा गया था। इसमें लाखों रुपये के शराब को बरामद किया गया। उन्होंने बताया कि अक्सर सीमा खुली होने के कारण गांव के रास्तों से शराब तस्करी करने वाले बच निकलते हैं। बावजूद बिहार पुलिस की मदद से उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास किये जाते है।

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