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विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के लिए इस बार बजट में पहले से ज्यादा आवंटन

Business. नई दिल्ली, 13 फरवरी= विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने उनके मंत्रालयों के विभिन्न विभागों के लिए किए गए बजटीय प्रावधानों पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की जन कल्याण की दिशा में विज्ञान और तकनीक के उपयोग की सोच को दर्शाता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी (डीएसटी) विभाग: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग को पिछली बार के 4493 करोड़ के मुकाबले इस बार 4836 करोड़ रुपये मिले हैं। इन प्रावधानों के अलावा उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी, अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकी, जैव चिकित्सा उपकरणों और विज्ञान और हेरिटेज रिसर्च इनिशिएटिव, डीएचआई के सहयोग से बिजली की गतिशीलता पर कार्यक्रम, आरडीएसओ और भारतीय रेलवे के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम, स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा भंडारण पर सहयोगी और राष्ट्रीय कार्यक्रम, अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल प्रौद्योगिकी पर वर्चुअल केंद्र के लिए स्वच्छ कोयला, ऊर्जा दक्षता के निर्माण पर कार्यक्रम को समर्थन जारी, सौर उपकरणों और प्रकोष्ठों के लिए अनुसंधान एवं विकास- सौर उपकरण और विशेषता लैब्स पर जोर देना शामिल है। छोटे बच्चों की विचार क्षमता पैदा संबोधित करने के लिए इंस्पायर अवार्ड योजना की पुनर्सरंचना (इंस्पायर-माणक के रूप में नाम), बालिका (विज्ञान ज्योति) के लिए एक कार्यक्रम का प्रस्ताव; विभाग के नीति अनुसंधान सेल में मानव संसाधन विकास क्षमता को मजबूत बनाने से जुड़े कार्यक्रमों पर जोर दिया गया है।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर): पिछली बार के 4062 करोड़ के मुकाबले इस बार 4446 करोड़ मिले हैं। व्यक्तिगत आविष्कार, प्रौद्योगिकी डेवलपर्स और उद्योग के प्रदर्शन परियोजनाओं के लिए सहायता, डीएसआईआर द्वारा एमएसएमई के लिए आम अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास केन्द्रों के लिए समर्थन, नेशनल लैब कार्यक्रम व परियोजनाओं के लिए सहायता, फास्ट ट्रैक अनुवाद परियोजनाओं, इंटर मिनिस्टीरियल व एजेंसी परियोजनाओं, नई सहस्राब्दी प्रौद्योगिकी नेतृत्व पहल, अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग, प्रौद्योगिकी ऊष्मायन केंद्र, प्रौद्योगिकी पार्क, सीएसआईआर द्वारा एक प्रौद्योगिकी विकास निधि के निर्माण से जुड़े कार्यक्रमों पर जोर दिया गया है।

जैव प्रौद्योगिकी (डीबीटी) विभाग: पिछली बार के 1917 करोड़ के मुकाबले इस बार 2222 करोड़ मिले हैं। यह पिछली बार की तुलना में 22% अधिक है। अनुसंधान एवं विकास, बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन के लिए चल रही पहल जारी रखने के साथ इस बार लक्ष्य आधारित कार्यक्रमों पर जोर रहेगा। इसमें ब्लू अर्थव्यवस्था दोहन- महासागरीय जीवविज्ञान संस्थान का प्रस्ताव, बायो फार्मा उत्पाद विकास से जुड़े शोध और विकास कार्यों को बढ़ावा, बायोटेक किसान- कृषि में सुधार के लिए डिस्कवरी अनुसंधान तेज के उपायों पर जोर, अभिनव पारिस्थितिकी प्रणाली के लिए स्टार्टअप, स्वच्छ ऊर्जा, महामारी तैयारी और अभिनव के लिए गठबंधन के साथ सहयोग, विभाग राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी रणनीति के साथ लाइन में 3 नए जैव प्रौद्योगिकी क्लस्टर, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यालयों, जैव इन्क्यूबेटरों, बायो कनेक्ट कार्यालयों की स्थापना होगी।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस): पिछली बार के 1566 करोड़ के मुकाबले इस बार 1723 करोड़ मिले हैं। इसके अलावा इसमें नेल्लोर में समुद्र के सामने सुविधा में गिट्टी पानी संयंत्र, लक्षद्वीप में समुद्र के पानी के लिए ओटीईसी संयंत्र, आईआईटीएम और आईएमडी के लिए एचपीसी; प्रखंड स्तर पर कृषि मौसम सेवाओं के विस्तार तथा हिंद महासागर के तटीय समुद्री प्रणाली (मोज़ेक) तैयार करना शामिल है।

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