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डिजिटल भुगतान कर इन्होंने जीता लाखो का ईनाम .

Business. नई दिल्ली, 21 फरवरी = लकी ग्राहक योजना और डिजिधन व्यापार योजना के तहत आम आदमी को 1 हजार से 1 लाख रुपये तक के ईनाम मिले हैं| ऐसे ही कुछ उदाहरणों को नीति आयोग ने सार्वजनिक किये हैं। जिनमें कैब ड्राइवर, किसान, महिला शिक्षक शामिल हैं।

12102dli-winner1दिल्ली में काम कर रहे 22 वर्षीय कार चालक साबिर को दो वर्ष पूर्व अपने पिता के देहांत के बाद दिल्ली आना पड़ा था। अब इनके ऊपर अपनी मां, नि:शक्त बड़ी बहन और छोटे भाई की देखभाल करने की जिम्मेदारी है। साबिर एक प्राइवेट कार रेंटल कंपनी में कार्य करते हैं और पांच हजार रुपये मासिक वेतन कमाते हैं। लकी ग्राहक योजना के तहत साबिर के खाते में 1 लाख रुपये जमा हुए हैं। साबिर का कहना है कि ‘‘यह धनराशि हमारी समस्याओं का अस्थायी समाधान करने के लिए पर्याप्त है।’’

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महाराष्ट्र में जन्मीं और पली-बढ़ी पूजा नेमाडे (28) अपने छह सदस्यों वाले परिवार के साथ मुम्बई में रह रही हैं और स्नातकोत्तर छात्रा हैं। परिवार में कमाने वाले सिर्फ इनके पिता हैं। विमुद्रीकरण के बाद इन्होंने लेन-देन के लिए रूपे कार्ड और ई-वालेट का उपयोग किया। इसी के तहत पिछले माह पूजा ने 1 लाख रुपये जीते। ईनाम मिलने के बाद पूजा अपने समुदाय के सभी आयु-वर्ग के लोगों को रोजमर्रा के छोटे-से-छोटे लेन-देनों के लिए भी डिजिटल सुविधाओं का उपयोग करने का आग्रह कर रही हैं और इसमें उनकी मदद कर रही हैं।

12102dli-winner 2भीम सिंह 29 वर्ष के किसान हैं जो मूलत: हिसार, हरियाणा के हैं। भीम सिंह हिसार के निकट एक गांव मोहब्बतपुर में हिसाब से गेहूं, सरसों, जई और बाजरा की खेती करते हैं। वे हरियाणा की आजमपुर मंडी में अपनी फसल बेचकर सालाना लगभग 1 लाख से 1.5 लाख रु. कमा पाते हैं और अपने रोजमर्रा का खर्च चलाते हैं। भीम सिंह ने चार महीने पहले एईपीएस से डिजिटल भुगतान करना शुरू कर दिया। लकी ग्राहक योजना के तहत इन्होंने 1000 रु. का इनाम जीता है।

12102dli-winnerआशा दामोदर केरल के कसारगोड़ जिले की 43 वर्षीय शिक्षिका हैं। आशा अपनी बीमार माता जी की दवाइयां खरीदने के लिए भी डिजिटल भुगतान का तरीका अपनाती हैं।

उनका कहना है कि डिजिटल भुगतान से छुट्टे पैसे नहीं रखने पड़ते। आशा ने लकी ग्राहक योजना के तहत 1 हजार रुपये का ईनाम पाया है।

12102dli-winner 432 वर्षीय मंजू आर गौवड़ा, मुंबई में ‘मेरी फास्ट फूड्स’ स्टोर चलाते हैं। इन्होंने डिजि-धन व्यापार योजना के तहत 50,000 रुपये (साप्ताहिक) पुरस्कार पाया है। वह कहते हैं कि विमुद्रीकरण से पहले उनके रेस्तरां में 95 प्रतिशत से अधिक भुगतान नकद किया जाता था। अब इनका कहना है कि सरकार की डिजिटल भुगतान पहल के साथ लगभग 95 प्रतिशत ग्राहक डिजिटल पद्धति का उपयोग करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

12102dli-winner 529 वर्षीया जयंती एक महत्वाकांक्षी गृहिणी हैं| इन्होंने हाल ही में तिरुपुर, तमिलनाडु में संचार पद्धतियों में अभियांत्रिकी में स्नातकोत्तर में नामांकन कराया है। इनकी छह साल की एक बेटी है और इनके पति एक सॉफ्टवेयर कंपनी में कर्मचारी हैं। जयंती और इनके पति अपनी नियमित खरीदारी के लिए डेबिट कार्डों का उपयोग कर रहे हैं और हाल ही में भुगतान करने के लिए रूपे का उपयोग करना शुरू किया है। इन्हें लकी ग्राहक योजना के तहत 1 लाख रुपये का ईनाम मिला है। जयंती का कहना है कि अधिक-से-अधिक लोग अगर भुगतान की डिजिटल पद्धति का उपयोग करेंगे तो सरकार को देश में काले धन को रोकने में सहायता मिलेगी।

आर. दुरईराज तमिलनाडु के धर्मपुरी ज़िले में श्रीरंग डिपार्टमेंटल स्टोर नामक एक डिपार्टमेंटल स्टोर चलाते हैं। उनका कहना है कि अब उनके स्टोर पर बहुत कम लेन-देन नकदी में होता है और अधिकतर ग्राहक क्रेडिट/डेबिट कार्ड के माध्यम से था ई-वैलेट के ज़रिए डिजिटल भुगतान को अपना चुके हैं। वे भारत सरकार की डिजिधन व्यापार योजना के भाग्यशाली विजेता हैं। उन्हें डिजिधन व्यापार योजना के तहत 50,000 रूपए का पुरस्कार मिला है।

चेतन महाराष्ट्र में पुणे में एक अंशकालिक तकनीशियन हैं और प्रतिमाह लगभग 15 दिन अपने पैतृक शहर धूलिया में अपनी कृषि भूमि पर बिताते हैं। वे प्रत्येक कुछ सप्ताह पर 400 किलोमीटर की यात्रा कर पुणे जाते हैं ताकि वे वहां रह रहे अपने माता-पिता और बहन की देखभाल कर सकें।चेतन ने कम्प्यूटर में बी.एस.सी. की डिग्री ली। चेतन का कहना है कि उन्होंने गांव डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए ज़िला प्रशासन की मदद से यूपीआई का इस्तेमाल करने की जानकारी देनी शुरु की। शुरुआत में उन्हें डिजिटल भुगतान का उपयोग करने में थोड़ी परेशानी हुई लेकिन अब धूलिया के सत्तर प्रतिशत से अधिक ग्रामीण अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए नकदरहित अंतरण कर रहे हैं। चेतन को लकी ग्राहक योजना योजना 1 लाख रुपये का ईनाम जीता।

उल्लेखनीय है कि नीति आयोग ने ग्राहकों और व्‍यापारियों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए लकी ग्राहक योजना (एलजीवाई) और डिजि-धन व्‍यापार योजना (डीवीवाई) शुरु की थी। इसके तहत कुल 1.5 करोड़ रुपये की पुरस्‍कार राशि के लिए रोजाना 15,000 विजेताओं की घोषणा की जाती है। इसके अलावा हर सप्‍ताह कुल करीब 8.3 करोड़ रुपये की पुरस्‍कार राशि के लिए 14,000 से अधिक साप्‍ताहिक विजेता घोषित की जाती है। रुपे कार्ड, भीम व यूपीआई (भारत इंटरफेस फॉर मनी/यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस), यूएसएसडी आधारित *99# सेवा और आधार सक्षम भुगतान सेवा (एईपीएस) का इस्‍तेमाल करने वाले उपभोक्‍ता और व्‍यापारी दैनिक एवं साप्‍ताहिक लकी ड्रॉ पुरस्‍कार जीतने लेने के लिए पात्र हैं।

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