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सपा-बसपा के वॉकआउट के बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा में पास हुआ यूपीकोका विधेयक

लखनऊ, 21 दिसम्बर (हि.स.)। विपक्ष के हंगामे और बर्हिगमन के बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को यूपीकोका विधेयक पारित हो गया। इससे पहले सदन में विधेयक पर चर्चा हुई, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे प्रदेश के लिए हितकर बताया। कहा कि यह विधेयक निवेश बढ़ाने और कानून व्यवस्था का माहौल दुरुस्त करने में अहम भूमिका अदा करेगा। 

मुख्यमंत्री ने सदन को आश्वस्त भी किया कि यूपीकोका का किसी भी तरह से दुरुपयोग नहीं होने पायेगा। न ही बदले की भावना से इसका इस्तेमाल होगा। उन्होंने यह भी एलान किया कि उनकी सरकार 20 हजार राजनीतिक मुकदमे वापस लेगी। 

उप्र संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (यूपीकोका बिल) पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने विपक्ष से पूछा कि आप लोग ही तो कानून व्यवस्था का सवाल उठाते हो, फिर अपराधियों की नकेल कसने के लिए लाये गये यूपीकोका का विरोध क्यों कर रहे हैं ? उन्होंने कहा कि वह यूपीकोका का दुरुपयोग कत्तई नहीं होने देंगे। 

योगी ने कहा कि यूपीकोका में किसी प्रकार के द्वेष अथवा बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसे अवैध तरीकों से धन कमाने वालों के लिए लाया जा रहा है। योगी ने कहा कि प्रदेश को अपराधमुक्त बनाना हमारी प्राथमिकता है। पिछले नौ महीनों में महसूस हुआ कि संगठित अपराध के लिए कानून जरूरी है। मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी इस तरह का कानून है। लेकिन, यूपीकोका को कर्नाटक और महाराष्ट्र से बेहतर बनाने की कोशिश की गयी है। 

योगी ने इस दौरान कहा कि नेताओं को यूपीकोका से घबराने की जरुरत नहीं है। इसमें ऐसा प्राविधान किया गया है कि कोई भी इसका दुरुपयोग नहीं कर पायेगा। उन्होंने कहा कि नेताओं के खिलाफ अधिकतर राजनीतिक मामले होते हैं, जो धरना प्रदर्शन के दौरान उनके खिलाफ दर्ज हो जाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस तरह के 20 हजार से ज्यादा राजनीतिक मुकदमे वापस लेने की तैयारी कर रही है। 

योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में उप्र संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (यूपीकोका बिल) पेश किया था। कैबिनेट ने इस बिल को 13 दिसम्बर को ही पारित कर दिया था। 

हालांकि विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी। बिल पर चर्चा के दौरान नेता विरोधी दल रामगोविंद चैधरी ने यूपीकोका को काला कानून बताया। कहा कि यह अघोषित इमरजेंसी है। नेता प्रतिपक्ष ने बिल पेश करते समय कल भी इसका विरोध किया था। 

चर्चा के दौरान आज भी विपक्ष ने इस बिल पर कड़े सवाल उठाते हुए इसे काला कानून करार दिया। विपक्ष ने बिल के संबंध में संशोधन भी दिए, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके विरोध में सपा, कांग्रेस और बसपा समेत पूरे विपक्ष ने सदन का बर्हिगमन किया। इसके बाद विपक्ष की गैरमौजूदगी में यूपीकोका बिल पारित हो गया। 

दरअसल यूपीकोका महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर बना है। महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 1999 में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) बनाया था। इसका मुख्य मकसद संगठित और अंडरवर्ल्ड क्राइम को खत्म करना था। वर्ष 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इसे लागू किया था। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने काफी अध्ययन के बाद इसी मकोका के तर्ज पर यूपीकोका बनाया है। 

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