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धोला-सदिया पुल का प्रधानमंत्री ने भूपेन हजारिका के नाम पर किया नामांकरण

तिनसुकिया, 26 मई = प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक दिवसीय असम दौरे की कड़ी में तिनसुकिया जिले सदिया से अरुणाचल को जोड़ने वाले देश के सबसे लंबे सड़क पुल (9.15 किमी लंबा) धोला-सदिया पुल को देश को समर्पित करते हुए इसे ऐतिहासिक क्षण करार दिया। लाखों से अधिक संख्या में सदिया में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दोनों राज्यों के लिए ही नहीं अपितु पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। प्रधानमंत्री ने धोला-सदिया पुल का नाम असम रत्न डॉ. भूपेन हजारिका के नाम पर घोषित किया। प्रधानमंत्री के मुंह से पुल का नाम जैसे ही घोषित हुआ, लोगों ने शोर मचाकर अपनी खुशी का इजहार किया। इसका कारण यह था डॉ. भूपेन हजारिका राज्यवासियों के दिलों में बसे हैं। लोगों ने इसका नाम भूपेन हजारिका के नाम पर रखने की मांग की थी।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत असमिया भाषा में उपस्थित लोगों का आभार ज्ञापित करते हुए सभी से अपने मोबाइल की लाइट जलाकर इस ऐतिहासिक क्षण के उत्सव को यादगार बनाने का आह्वान किया, तो लोग मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर मोदी-मोदी का नारा लगाया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय से दोनों राज्यों के लोगों को जिस क्षण का इंतजार था, आज वह इस पुल के लोकार्पण होने के साथ पूरा हो गया। उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं आज उस स्थान पर पहुंचकर गौरव अनुभव कर रहा हूं, जिसे कुंडिल नगर के नाम से जाना जाता है। कुंडिल नगर का भगवान श्रीकृष्ण से बेहद लगाव था। जबकि मैं श्रीकृष्ण के नगर से आता हूं, ऐसे में मेरा भी इस इलाके से गहरा लगाव है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र की जनता को पिछले पांच दशक से इस पल का इंतजार था। प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल बिहारी वापजेयी सरकार अगर 2004 में दूसरी बार सत्ता में आ जाती तो यह पुल 10 वर्ष पहले ही लोगों को मिल गया होता। उन्होंने कहा कि 29 मई, 2003 में तत्कालीन विधायक व भाजपा के नेता जगदीश भुइंया ने अटल सरकार को पत्र लिखकर यहां पर पुल बनाने का आग्रह किया था। अटल सरकार ने तुरंत फिजिबलटी रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया। अगर काम तेजी से होता तो यह पुल 10 वर्ष पहले ही तैयार हो गया होता। मगर बीच की सरकारों के शासनकाल में रुकावटें आती रही, लोगों को सपना डगमगाता रहा। उन्होंने कहा कि अटल जी ने जो सपना देखा था उसे हमारी सरकार गत तीन वर्षों में पूरा करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि असम भाजपानीत गठबंधन सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर इस ब्रिज का उद्घाटन करते हुए असम के साथ ही पूरे देश के लिए गर्व करने वाला पल है। यह सचमुच में गर्व करने वाली बात है कि देश के एक छोर पर देश का सबसे लंबा ब्रिज बनकर तैयार हो गया है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास को स्थायी गति देने के लिए आधारभूत ढांचे का निर्माण होना जरूरी है तब जाकर संतुलित विकास होता है। छोटे-छोटे प्रयासों का परिणाम अल्पकालिक होता है। यह ब्रिज अरुणाचल प्रदेश-असम को जोड़ने वाला है। इस पुल के बन जाने से 165 किमी की दूरी यानि चार से पांच घंटे की समय का बचत होगा, जिसके चलते विकास की रफ्तार तेजी होगी। उन्होंने कहा कि सदिया का अदरक उच्च कोटी का है। इस पुल के बन जाने से किसानों की आय में भारी वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने किसानों से आर्गेनिक अदर की खेती करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह पुल दोनों राज्यों के विकास की कड़ी साबित होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर विकास के नए द्वार खोलेगा। पूर्वोत्तर के लोगों में बहुत ताकत है, थोड़ी सी व्यवस्था अगर पूर्वोत्तर के लोगों को मिल जाए तो वे कमाल करके दिखा सकते हैं। इस पुल के बन जाने से प्रतिदिन 10 लाख रुपये के डीजल की बचत होगी, इससे पर्यावरण को भी सुरक्षित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि पहले लोग फेरी से जाते थे। अगर मौसम खराब हुआ तो फेरी बंद होती थी, ब्रह्मपुत्र अगर नाराज हुआ तो भी फेरी बंद जाती थी, जिसके चलते यातायात व्यवस्था अवरूद्ध हो जाता था, लेकिन अब 24/7 यानि 365 दिन किसी भी परिस्थिति में यातायात नहीं रुकने वाला है।

प्रधामंत्री ने कहा कि देश में रास्तों, पुल, रेल, हवाई व जलमार्गों का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री के प्रयास से देश को सस्ता व सुरक्षित जलमार्ग की सौगात मिलने जा रही है। सरकार इसको लेकर काम कर रही है। ब्रह्मपुत्र और गंगा जलमार्ग के प्रमुख रास्ते बनेंगे, जिससे विकास की एक नई दिशा तय होगी। हजारों करोड़ रुपये की लागत से जलमार्ग को विकसित करने का प्रयास शुरू किया गया है। यह खर्च पूरे पूर्वोत्तर में रोड, हवाई, रेल मार्गों के विकास साथ ही बिजली, आप्टीकल फाइबर नेटवर्क के जाल को बिछाने का कार्य शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि हम तेज गति से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 15-20 वर्षों में जो धन खर्च नहीं हो पाते थे, हमारी सरकार ने तीन वर्षों में उसे खर्च कर एक नया मुकाम हासिल किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत पूर्वोत्तर को आर्थिक रूप से समृद्ध करने की कोशिशों में सरकार जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को साउथ ईस्ट एशिया की आर्थिक राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए काम किया जा रहा है। इस क्षेत्र को इकोनॉमिक हब बनाने के लिए काम कर रहे हैं। इसका परिणाम आने वाले दिनों में मिलेगा। मोदी ने साथ ही कहा कि रेलवे ने पूर्वोत्तर को अपनी प्राथमिकता की सूची में रखा है। केंद्र सरकार पूर्वोत्तर को टूरिज्म के रूप में भी विकसित करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। कारण कामाख्या से कोहिमा का क्षेत्र बहुत ही सुंदर है। देश के बहुत से लोग इस बारे में नहीं जानते हैं। हम टूरिज्म के जरिए पूरे देशवासियों को यहां आने के लिए प्रेरित करेंगे।

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