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अगले सत्र से नीट की अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं के प्रश्न पत्र एक जैसे

नई दिल्ली, 12 दिसम्बर (हि.स.)। नीट की अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में प्रश्न एक ही तरह के पूछे जाने के मामले पर आज नीट के संयुक्त सचिव डॉ संयम भारद्वाज ने कहा कि अगले सत्र से नीट की अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं के प्रश्न पत्र एक ही तरह के होंगे। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने उनके इस बयान को रिकॉर्ड में दर्ज करते हुए नीट के खिलाफ दायर याचिकाओं को निष्पादित कर दिया।

पिछले 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि नीट की अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में प्रश्न एक ही तरह के पूछे जाएं। कोर्ट ने सीबीएसई को फटकार लगाते हुए कहा था कि नीट परीक्षा का उद्देश्य एकरुपता बरकरार रखना है। अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं के प्रश्न अलग-अलग नहीं होने चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि अगले साल से अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में प्रश्न एक ही तरह के होंगे। इसके लिए सीबीएसई राज्यों को ये बताएगी कि प्रश्नों में एकरूपता कैसे आए।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह और एएसजी मनिंदर सिंह इस मामले में बहस कर रहे थे और क्षेत्रीय भाषाओं के लिए वर्नाकुलर शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे। इस जस्टिस दीपक मिश्रा ने दोनों को टोकते हुए कहा कि आप वर्नाकुलर शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं| इसे देखिए, ये एक अपमानजनक शब्द है। जस्टिस दीपक मिश्रा की बातों का कोर्ट में बैठे वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन और शेखर नफड़े ने समर्थन किया और कहा कि ये साम्राज्यवादी शब्द है जिसका इस्तेमाल अंग्रेजों ने किया था। उसके बाद दोनों वकील अपनी दलीलों में ने वर्नाकुलर शब्द की बजाय क्षेत्रीय भाषा शब्द का इस्तेमाल करने लगे।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई से होने वाली नीट मेडिकल काउसंलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ग्यारह लाख छात्रों में से छह लाख ग्यारह हजार छात्रों ने नीट की परीक्षा पास की है। अगर हम स्टे लगाते हैं तो इससे छह लाख से ज्यादा छात्र प्रभावित होंगे।

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