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दवा कंपनियों को बड़े अक्षरों में लिखना होगा जेनेरिक दवाओं का नाम

नई दिल्ली (ईएमएस)। जेनेरिक दवाओं के प्रयोग को प्रोत्साहन देन के लिए सरकार ने फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए दवा के जेनेरिक नामों को लेबल पर दोगुना बड़े आकार के अक्षरों में लिखना जरूरी कर दिया है। यह नियम 13 सितंबर 2018 से लागू हो जाएगा। सरकार के इस कदम से जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा और डॉक्टरों और कंपनियों का गठजोड़ टूटेगा। इसके अलावा मरीजों पर आर्थिक बोझ भी कम होगा। हालांकि, सरकार इस कदम में विटामिनों के कॉम्बिनेशन और फिक्स्ड डोज कॉमिबिनेशन वाली दवाओं को शामिल नहीं किया गया है।

सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक, इस तरह के विटामिन और फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन में ब्रांड नाम नीचे ब्रैकेट में या जेनेरिक नाम के बाद लिखा जाएगा।

अब तक भारत में ड्रग निर्माता, ब्रांड नाम को लेबल पर बोल्ड अक्षरों में लिखते हैं, जबकि जेनेरिक नामों को सामान्य अक्षरों में लिखा जाता है। इससे पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉक्टरों से जेनेरिक नाम लिखने के लिए कहा था। मेडिकल काउंसिल के अनुसार, ड्रग के ब्रांड नाम को ब्रैकेट में लिखा जा सकता है। हालांकि, अब तक पूरी तरह से डॉक्टरों ने ऐसा करना शुरू नहीं किया है। इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस(आईपीए) के जनरल सेक्रेटरी डीजी शाह ने कहा कि बड़े दवा निर्माताओं के लॉबी समूह के मुताबिक, उनके सदस्यों ने जेनेरिक नामों को ब्रांड नाम से बड़ा लिखने का अभ्यास पहले से ही शुरू कर दिया है।

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