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नवरात्री का आज चौथा दिन , माता कूष्माण्डा की पूजा कर करे ये आरती

नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाती हैं माता कूष्माण्डा. आठ भुजाओं वाली मां दुर्गा के इस रूप को लेकर मान्यता है कि इन्होंने ही संसार की रचना की. इसीलिए इन्हें आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी  और चंद्रघंटा  के बाद पूजा जाता है. यहां जानिए माता कूष्माण्डा का रूप और खास आरती के बारे में.
 
कौन हैं मां कूष्माण्डा
चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए माता कूष्माण्डा को सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है. मान्यता है कि मां कूष्माण्डा ने ही इस सृष्टि की रचना की. इनका निवास स्थान सूर्य है. इसीलिए माता कूष्माण्डा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है. मां दुर्गा का यह एकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है. इनके अलावा माता कोई भी रूप सूर्यलोक में नहीं रहता.

मां कूष्माण्डा का रूप 
चेहरे पर हल्की मुस्कान और सिर पर बड़ा-सा मुकूट. आठों हाथों में अस्त और शस्त्र जिसमें सबसे पहले कमल का फूल, तीर, धनुष, कमंडल, मटकी, चक्र, गदा और जप माला. सवारी है इनकी शेर. लाल साड़ी और हरा ब्लाउज हैं इनके वस्त्र. 

कैसे करें कूष्माण्डा माता की पूजा
कूष्माण्डा माता की पूजा संतरी रंग के कपड़े पहनकर करें. 
मान्यता है कि इस दिन प्रसाद में हलवा शुभ माना जाता है.
घर में सौभाग्य लाने के लिए कूष्माण्डा माता की पूजा के बाद मेवे या फल दान करें.

कूष्मांडा माता की आरती
कुष्मांडा जय जग सुखदानी
मुझ पर दया करो महारानी
पिंगला ज्वालामुखी निराली 
शाकम्बरी माँ भोली भाली 
लाखो नाम निराले तेरे 
भगत कई मतवाले तेरे 
भीमा पर्वत पर है डेरा 
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा 
संब की सुनती हो जगदम्बे 
सुख पौचाती हो माँ अम्बे 
तेरे दर्शन का मै प्यासा 
पूर्ण कर दो मेरी आशा 
माँ के मन मै ममता भारी 
क्यों ना सुनेगी अर्ज हमारी 
तेरे दर पर किया है डेरा 
दूर करो माँ संकट मेरा 
मेरे कारज पुरे कर दो 
मेरे तुम भंडारे भर दो 
तेरा दास तुझे ही ध्याये 
‘भक्त’ तेरे दर शीश झुकाए

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