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बढ़ रही है एटीएम व बैंक धोखाधड़ी की घटनाएं

मुंबई, 08 जनवरी (हि.स.)। महाराष्‍ट्र में बैंक खाताधारक सबसे ज्‍यादा धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान एटीएम के जरिए जालसाजी के कुल 3,433 मामले सामने आए हैं। यह मामले एक लाख रुपए या इससे अधिक की राशि के हैं। आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहक सबसे ज्‍यादा जालसाजी के शिकार बने हैं। एटीएम धोखाधड़ी के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र (1003) से आए हैं। हाल ही में मुलुंड से सैकड़ों खाताधारकों से अचानक भारी रकम काटे जाने का मामला सामने आया था। स्थानीय पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार बैंक से ऑनलाइन ठगी के मामलों में लगातार बढ़तरी हो रही है। सबसे अधिक एटीएम धोखाधड़ी के शिकार आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहक बने हैं। आईसीआईसीआई बैंक के 835 खाताधारकों को लाखों की चपत लगी है, जबकि अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉर्पोरेशन के 484 खाताधारक, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के 456 खाताधारक, सिटी बैंक एनए के 342 खाताधारकों के खातों से भी ठगों ने भारी-भरकम रकम उड़ा लिए हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकडों के अनुसार, क्रेडिट कार्ड, एटीएम/ डेबिट कार्ड तथा इंटरनेट बैंकिंग से संबंधित एक लाख या इससे अधिक राशि की धोखाधड़ी के 3433 मामले सामने आए हैं। पिछले तीन वर्षों (2014-15, 2015-16 तथा 2016-17) के दौरान एटीएम धोखाधड़ी के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र (1003) से आए हैं, जबकि हरियाणा (619) और तमिलनाडु में 584 मामले दर्ज किए गए हैं। इस अवधि के दौरान हिमाचल प्रदेश और सिक्किम में एटीएम धोखाधड़ी के सबसे कम मामले सामने आए। सबसे अधिक एटीएम धोखाधड़ी के मामले आईसीआईसीआई बैंक (835), अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉर्पोरेशन (484), एचडीएफसी बैंक लिमिटेड (456) और सिटी बैंक एनए (342) से संबंधित रहे हैं।

इसके अलावा महाराष्ट्र में साइबर क्राइम की घटनाओं में साल 2012 से साल 2017 तक के दौरान लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान 10419 केस दर्ज हुए थे। लेकिन 184 मामलों की सुनवाई ही पूरी हो पाई है, जबकि केवल 34 मामलों में ही आरोपियों को सजा दिलाई गई है। पुलिस ने 2279 आरोपियों (22 फीसदी) के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच साल के दौरान जांच की गति भी धीमी हुई, केवल 3167 मामलों का ही पुलिस पता लगाने में सफल हो पाई है। बाकी के मामलों की जांच अभी भी जारी है। मुंबई पुलिस विभाग ने इस तरह के मामलों की जांच के लिए विशेष रूप से साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल का गठन किया है। यह सेल हैकिंगस, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, साइबर स्टॉकिंग, वाइरस डिसैमिनेशन, सॉफ्टवेयर पाइरेसी. क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, नेट एक्सटॉर्सन, फीशिंग व इंटरनेट फ्रॉड मामलों की जांच करती है। लेकिन इस वेब साइट पर रिकॉर्ड तक अपडेट नहीं हैं। पुलिस का दावा है कि इस तरह के मामलों की जांच के लिए समय समय पर ट्रेनिंग सत्र चलाए जाते हैं। लगभग 150 पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। 

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