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माघी पूर्णिमा : चन्द्र ग्रहण पर मोक्ष स्नान के लिए जुटे हजारों श्रद्धालु , गंगा में लगायी आस्था की डुबकी

वाराणसी, 31 जनवरी : स्नान पर्वों की आखिरी श्रृंखला माघी पूर्णिमा पर बुधवार को तड़के से ही हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगा कर दान पुण्य किया। 

स्नान पर्व पर शहरी नागरिकों के साथ हजारों ग्रामीण तड़के ही गंगा स्नान के लिए घाटों की ओर चल पड़े। गंगा स्नान के बाद दान पुण्य कर स्नानार्थियों ने मंदिरों में भी मत्था टेका। इस दौरान रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर ग्रामीणों की भीड़ देखी गयी। गंगा स्नान के लिए प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, पंचगंगाघाट, अस्सीघाट, भैसांसुर, खिड़कियाघाट पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ रही। 

उधर गंगा स्नान के बाद हजारों श्रद्धालु संत रविदास की जयंती समारोह में भाग लेने जन्म स्थली सीर गोवर्धन भी पहुंचे। सीर से लेकर रविदास घाट, खिड़किया घाट पर रविदासियों की टोली देश के कोने-कोने से गंगा स्नान के लिए आती रही। स्नान के बाद गुरु के जन्म स्थान तीर्थ पर हाजिरी लगाने के लिए निकल पड़ी । 

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गौरतलब हो कि माघी पूर्णिमा पर गंगा में स्नान करने के बाद दानपुण्य करने और भगवान विष्णु का पूजन करने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है माघी पूर्णिमा का स्नान करने से अभीष्ट फल प्राप्त होते हैं। इससे लाभ होता है और सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं। जनमानस में विश्वास है कि माघी पूर्णिमा के दिन सूर्य को अर्घ्य देने और गंगा स्नान करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त होता है। पद्म पुराण के अनुसार गंगा और यमुना के संगम में स्नान किया जाए तो काशी स्नान से सौ गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन स्नान करने से पांडरिक का लाभ मिलता है तथा विष्णु भगवान का पूजन करने से चारों धाम का लाभ मिलता है।

चन्द्र ग्रहण पर मोक्ष स्नान के लिए हजारों श्रद्धालु घाटों पर जुटे

माघी पूर्णिमा को चंद्रग्रहण और इससे लगे सूतक को देख गंगा स्थान के लिए आये हजारों श्रद्धालु मोक्ष स्नान के लिए गंगा तट और दशाश्वमेध,गोदौलिया स्थित दुकानों की पटरी पर ही रूक गये हैं। श्रद्धालु मोक्ष स्नान के बाद अगले दिन घर लौटेंगे। चन्द्र ग्रहण समाप्त होने पर रात नौ बजे के बाद गंगा तट पर स्नानार्थिेयों का सैलाब उमड़ेगा। (हि.स.)।

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