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मोदी से बड़ी उम्मीद लगाए बैठा है पिछड़ा बुन्देलखण्ड

Uttar Pradesh. ललितपुर, 16 मार्च=  अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, सूखा, अकाल के कुचक्र मे फंसे बुन्देलखण्ड के हालात बद से बदतर हालात में पहुंच गए हैं। यहां किसानो के चेहरों से उड़ी हुई रंगत बदहाली की तस्वीर साफ बयान करती है। इसका कारण यहां रोजगार व कर्ज के अभाव में आत्महत्या, पलायन जैसे मुद्दे हैं। सरकारों ने यहां की परिस्थितियों पर जबरदस्त राजनीति की, लेकिन मनरेगा और रोजगार के साधनों को मजबूत नहीं किया, परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग पलायन करने को मजबूर हो गए। मनरेगा की हालत रही कि काम नहीं मिलने से लोगों का इस पर पूरी तरह विश्वास उठ गया।

नई सरकार बनने के बाद मड़ावरा तहसील के धौरीसागर गांव के 48 वर्षीय हरजुआ हिन्दुस्थान समाचार से कहते हैं कि बड़े विश्वास के साथ हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट दिया है। अब उम्मीद है कि मनरेगा में मजदूरी मिलने लगेगी, जिससे हमारे क्षेत्र के मजदूरों को रोजी रोटी के लिए बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। मौजूदा समय में 8-9 माह से काम बंद पड़ा है, न ही पुराना पैसा मिला, न ही ही मनरेगा में काम।

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वहीं अगर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की वेबसाइट के अनुसार “ललितपुर जनपद में वित्तीय वर्ष 2014-15 में 1.67 लाख जॉब कार्ड में से महज 3,169 परिवारों को 100 दिन का काम मिला। वित्तीय वर्ष 2015-16 में जॉब कार्ड में इजाफा होकर 1.77 लाख जॉब कार्डो की संख्या बढ़ी, जिसके सापेक्ष 7,741 परिवारों को 100 दिन का काम मिल पाया। वित्तीय वर्ष 2016-17 जॉब कार्डो की संख्या में गिरावट के कारण जनपद में 1.54 लाख परिवारों के पास जॉब कार्ड है, जिसके सापेक्ष 100 दिन पूरा करने वालों परिवारों में महज 7,51 परिवार ही ये लक्ष्य पूरा कर पाये।

जिला मुख्यालय से 52 किमी बार ब्लाँक की ग्राम पंचायत सुनवाहा के रहने वाले 45 वर्षीय छिंगा सहरिया हिन्दुस्थान समाचार से कहते हैं, “हम पति पत्नी ने मई-जून में मनरेगा अंर्तगत बंदी निर्माण पर खंती खोदी थी। तब से आज तक पैसा नही मिला। अब मोदी सरकार से उम्मीदें हैं कि मनरेगा में काम मिलेगा, जिससे बुन्देलखण्ड के हालात सुधर जायेंगे और पलायन भी रूकेगा। हम मजदूरों को गांव में काम मिलने लगेगा।

दरअसल पलायन को रोकने व गांव में स्थाई रोजगार देने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना कारगार थी, सरकार की लापरवाही के कारण नियम कागजों तक सीमित रह गये, तीन सालों से मनरेगा के हालात खराब है। महरौनी ग्राम पंचायत अमौरा में रहने वाले 42 वर्षीय गंगाराम अहिरवार हिन्दुस्थान समाचार से कहते हैं कि प्रत्येक परिवार को 100 दिन काम मिलने का प्रावधान है, लेकिन ऊपर से काम नहीं आता। मोदी सरकार को क्षेत्र भर ने वोट दिए, अब कम से कम हम मजदूरों के बारे में मोदी सोचेंगे, जिससे हम लोगां को काम मिलेगा। छत्रपाल सिंह ग्राम प्रधान सुनवाहा हिन्दुस्थान समाचार से कहते हैं कि सपा सरकार ने मनरेगा को पैसा नहीं दिया, पंचायतें काम नहीं दिला पाती थी, जब काम मिला तो समय से पैसा नहीं आया, जिससे हमारी किरकिरी गांव में होती रही। मोदी सरकार बनने से पंचायतों को जरूर पैसा आएगा। जिससे गांव का पलायन रूक सकेगा।

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