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रामसेतु को लेकर वैज्ञानिकों ने किये चौकाने वाले खुलासे , जाने इसके रहस्य

नई दिल्ली : रामसेतु के अस्तित्व को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई हैं . हाल ही में एक अमेरिकी चैनल ने भी यह दावा भी किया है कि रामसेतु केवल कल्पना नहीं है. यहां भू और समुद्र वैज्ञानिकों ने कई ऐसे तथ्य भी खोजे हैं, जो रामसेतु की प्राचीनता को साबित करते हैं. 

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चैनल ने अपनी स्टडी के आधार पर दावा किया है कि यह ढांचा प्राकृतिक नहीं बल्कि इंसानों द्वारा बनाया गया है। इसके बाद एक बार फिर रामसेतु नेताओं के लिए एक मुद्दा बन गया है। बुधवार को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रामसेतु को भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताते हुए कहा है कि इसके साथ कभी भी कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। 

रामसेतु को एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है. यह श्रीलंका के मन्नार द्वीप से भारत के रामेश्वरम तक चट्टानों की चेन है, जो समुद्र के अंदर है.

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रामसेतु और उसके आसपास मिले पत्थरों की जांच में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि रामसेतु के पत्थर करीब 7 हजार साल पुराने हैं.रामेश्वरम में आज भी ऐसे कुछ पत्थर मौजूद हैं, जो पानी में नहीं डूबते हैं. बता दें कि रामायण में पानी में ना डूबने वाले पत्थरों का भी जिक्र है. सबसे दिलचस्प बात तो यह कि स्कंद पुराण, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण और ब्रह्म पुराण में राम सेतु का उल्लेख मिलता है.

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यही नहीं, सैटेलाइट नासा ने उपग्रह से खींचे गए चित्रों में रामसेतु की चौड़ाई 48 किमी चौड़ी पट्टी के रूप में उभरे एक भू-भाग की रेखा की तरह दिखती है. ऐसा कहा जाता है कि 15 वीं सदी तक रामसेतु का अस्तित्व था, लेकिन समुद्री तूफ़ान के कारण पानी इसके ऊपर आ गया और कई जगह से यह टूट गया. 

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